एनआइए ने राज्य में 12 जगहों पर मारे ताबड़तोड़ छापे

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआइए) के अधिकारियों ने माओवादियों से कथित तौर पर जुड़े लोगों के कोलकाता समेत पश्चिम बंगाल में 12 परिसरों पर मंगलवार को एक साथ छापे मारे.

By Prabhat Khabar News Desk | October 2, 2024 1:01 AM

माओवादी गतिविधियों में शामिल लोगों तक पहुंचने के लिए एनआइए ने चलाया अभियान

अभियान में बंगाल के अलावा नयी दिल्ली, झारखंड और बिहार के एनआइए अधिकारी भी शामिल

छापेमारी में महत्वपूर्ण दस्तावेज, मोबाइल फोन, लैपटॉप, कंप्यूटरों की हार्डडिस्क व अन्य डिजिटल उपकरण जब्त

संवाददाता, कोलकाता

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआइए) के अधिकारियों ने माओवादियों से कथित तौर पर जुड़े लोगों के कोलकाता समेत पश्चिम बंगाल में 12 परिसरों पर मंगलवार को एक साथ छापे मारे. मामला झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ में माओवादी गतिविधियों से जुड़ा है. माओवादी गतिविधियों में शामिल लोगों तक पहुंचने के लिए एनआइए ने यह अभियान चलाया. बताया जा रहा है कि यह छापेमारी कोलकाता के नेताजीनगर, उत्तर 24 परगना के पानीहाटी, सोदपुर, बैरकपुर व जगदल, दक्षिण 24 परगना के महेशतला, बारुईपुर, नदिया के मदनपुर, रानाघाट, हावड़ा के चटर्जीहाट और आसनसोल समेत करीब 12 जगहों पर की गयी है. इस अभियान में बंगाल के अलावा नयी दिल्ली, झारखंड और छत्तीसगढ़ के भी एनआइए अधिकारी शामिल रहे. एनआइए अधिकारियों की टीम के साथ सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (सीएपीएफ) के जवान भी हैं. कुछ जगहों पर राज्य पुलिस की स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) के अधिकारी भी उनके साथ हैं. छापेमारी के दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेज, मोबाइल फोन, लैपटॉप, कंप्यूटरों की हार्डडिस्क व अन्य डिजिटल उपकरण जब्त किये गये हैं. खबर लिखे जाने तक कई स्थानों पर एनआइए का अभियान जारी था.

कोयला खदान श्रमिकों के अधिकारों की मांग पर आंदोलन में शामिल रह चुकी हैं शिप्रा व सुदीप्ता :

बताया जा रहा है कि शिप्रा पहले आसनसोल में किराये का मकान लेकर रहती थीं. उनके घर पर सुदीप्ता का भी काफी-आना जाना था. वे दोनों कई सामाजिक कार्यों में साथ जुड़ी रही हैं. वे कोयला खदान श्रमिकों के अधिकारों की मांग को लेकर आंदोलन में भी शामिल रही हैं. वे ””””””””अधिकार”””””””” नामक संगठन से जुड़ी थीं. बाद में उन्होंने ””””””””मजदूर अधिकार”””””””” नाम का संगठन बनाया और उन्होंने कोयला खदान श्रमिकों की मांगों के लिए आंदोलन किया. इसके अलावा स्थानीय लोगों ने सुदीप्ता और शिप्रा को मानवाधिकार से जुड़े कई मुद्दों पर हिस्सा लेते देखा है. एनआइए को आशंका है कि कोयला श्रमिकों की मांग को लेकर आंदोलन के नाम पर भी माओवादी गतिविधियों के लिए फंड जुटाये गये हैं. हालांकि, यह अभी जांच का विषय है.

इधर, आसनसोल में शोधकर्ता माने जाने वाले अभिज्ञान सरकार के आवास पर भी दबिश दी गयी थी. वह जादवपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं. वह सिंगूर आंदोलन में भी शामिल हुए थे. बाद में उन्हें देउचा पचामी आंदोलन के दौरान भी देखा गया था. कुछ वर्ष पहले शिप्रा आसनसोल से पानीहाटी आ गयीं. शिप्रा और सुदीप्ता दोनों के ही ठिकानों एनआइए के अधिकारियों ने करीब चार घंटों तक अभियान चलाया. उनसे पूछताछ भी की गयी है. साथ ही उनके घरों से मोबाइल फोन, लैपटॉप, कंप्यूटरों की हार्डडिस्क व कुछ दस्तावेज भी जब्त किये गये हैं.

छापेमारी के नाम पर घर का पूरा सामान बिखेर दिया गया, सुदीप्ता का आरोप :

एनआइए की छापेमारी को लेकर सुदीप्ता ने आरोप लगाया कि अभियान के नाम पर उनके घर पर रखे सारे सामान बिखेर दिये गये हैं. झूठे मामले में उनके घर पर अभियान चलाया गया है. उन्होंने कहा कि झारखंड में माओवादी गतिविधि के एक मामले की जांच के तहत उनके घर पर तलाशी अभियान चलाया गया था. उन्होंने कहा कि “कंप्यूटर की हार्डडिस्क ले जाने के कारण मेरा काफी नुकसान हो गया है. मेरा एक ही कंप्यूटर है. कंप्यूटर के जरिये मैं लेखन का कार्य करती हूं. ऐसे में मुझे काफी क्षति हुई है.

माओवादी नेताओं की गिरफ्तारी के बाद बड़े नेटवर्क का पता चला :

वर्ष 2022 में एनआइए ने माओवादी नेता प्रशांत बोस उर्फ प्रशांत बसु को गिरफ्तार किया था. इससे पहले इस मामले में भाकपा (माओवादी) के केंद्रीय कमेटी सदस्य और राज्य महासचिव सव्यसाची गोस्वामी उर्फ किशोर दा को एनआइए ने गिरफ्तार किया था. किशोर दा के अलावा जयिता दास समेत तीन अन्य को गिरफ्तार किया गया था. कंचन दा को असम की बराक घाटी से गिरफ्तार किया गया था. उनकी गिरफ्तारी के बाद ही माओवादियों के एक बड़े नेटवर्क का पता चला और उसको लेकर एनआइए को कुछ महत्वपूर्ण तथ्य हाथ लगने की बात सामने आयी है. मंगलवार को चलाया गया अभियान उसी जांच का एक हिस्सा माना जा रहा है.

उत्तर भारत में भी नेटवर्क विस्तार करने में जुटे हैं माओवादी :

माओवादी नेता प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद पता चला कि माओवादी ने पूर्वी भारत के अलावा उत्तर भारत के चार राज्यों उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में भी अपना नेटवर्क तैयार करने में जुटे हैं. इसके लिए पूरी मदद पूर्वी भारत से मिलने की बात सामने आयी है. जांच में तथ्य मिले हैं कि झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ में माओवादी गतिविधियों के लिए फंड जुटाने के कार्य में पश्चिम बंगाल के कुछ लोग भी जुटे हैं. एनआइए को झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ में माओवादियों को मिलने वाली मदद उत्तर भारत के राज्यों में भी पहुंचाये जाने का अंदेशा है. इतना ही नहीं, उत्तर-पूर्वी भारत में सक्रिय उग्रवादियों से हथियारों की सप्लाई बंगाल, झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ के माओवादियों तक पहुंचने की आशंका भी है.

मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं के ठिकानों पर भी दबिश

मंगलवार सुबह एनआइए अधिकारियों की एक टीम उत्तर 24 परगना के पानीहाटी नगरपालिका अंतर्गत पल्लीश्री इलाके में मानवेश चक्रवर्ती और उनकी पत्नी शिप्रा चक्रवर्ती के ठिकाने पर पहुंची. अन्य टीम आसनसोल में सामाजिक कार्यकर्ता सुदीप्ता पाल और शोधकर्ता अभिज्ञान सरकार नाम के दो लोगों के आवास पहुंची. एनआइए के अधिकारियों ने नदिया के मदनपुर में भाकपा (माओवादी) के राज्य समिति के प्रवक्ता गौड़ चक्रवर्ती के साले के ठिकाने पर भी छापेमारी की. चक्रवर्ती के साले को चाकदा थाने लाकर पूछताछ की जा रही है. कोलकाता के नेताजीनगर इलाके में व्यवसाय से जुड़े एक व्यक्ति के घर पर भी छापा मारा गया. इधर, दक्षिण 24 परगना के महेशतला में वासु नस्कर नामक एक व्यक्ति के आवास पर भी दबिश दी गयी. वह मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते हैं. इसी दिन हावड़ा के चटर्जीहाट थाना क्षेत्र के केदार भट्टाचार्य रोड स्थित सिद्धस्तव राय के आवास भी एनआइए अधिकारी जांच के लिए पहुंचे. इधर, दक्षिण 24 परगना के बारुईपुर के कल्याणपुर के कुंदराली इलाके में सेल्समैन का काम करने वाले गौड़ मजूमदार के ठिकाने में भी अभियान चलाया गया.

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