एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को गलती से राज्य सरकार ने दे दी थी अतिरिक्त राशि कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट के जस्टिस राजशेखर मंथा और जस्टिस अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि यदि राज्य की ओर से हुई गलती के कारण सेवानिवृत्त कर्मचारी को अतिरिक्त राशि का भुगतान किया गया, तो उसे वसूलने का अधिकार उसके पास नहीं है. याचिकाकर्ता भारतीय वायु सेना का कर्मचारी था. सेवानिवृत्ति के बाद वर्ष 1995 में उसे पश्चिम बंगाल राष्ट्रीय स्वयंसेवी बल द्वारा प्लाटून कमांडर के रूप में नियुक्त किया गया. नौकरी के आरंभ में राज्य सरकार ने गलती से उसे वही वेतन दिया, जो उसे वायु सेना में अपने कार्यकाल के दौरान मिल रहा था. दूसरी ओर, राज्य सरकार की ओर से 22 सितंबर 1995 को जारी किये गये सर्कुलर के अनुसार, पुनर्नियुक्त सैन्य पेंशनभोगियों को राज्य द्वारा एक निश्चित वेतनमान दिया जायेगा, न कि उनकी पिछली सैन्य स्थिति या वेतन के आधार पर. याचिकाकर्ता द्वारा तर्क दिया गया कि सबसे पहले राज्य सरकार ने 22 सितंबर 1995 के परिपत्र के बावजूद भारतीय वायु सेना से उनके अंतिम आहरित वेतन के आधार पर उन्हें अतिरिक्त राशि का भुगतान करके अपनी ओर से गलती की है. उन्होंने तर्क दिया कि न्यायाधिकरण के सात अप्रैल 2011 के आदेश के बावजूद राज्य ने उन्हें उच्च वेतन प्रदान करना जारी रखा. न्यायालय ने पाया कि पश्चिम बंगाल प्रशासनिक न्यायाधिकरण द्वारा दिये गये संरक्षण के बावजूद राज्य ने 1995 के परिपत्र के अनुसार निर्धारित वेतनमान पर लौटने के बजाय याचिकाकर्ता को उच्चतम वेतनमान प्रदान करने की अपनी गलत गलती जारी रखी, जो राज्य की ओर से एक गलती थी. इन टिप्पणियों के आलोक में अदालत ने फैसला सुनाया कि याचिकाकर्ता के वेतन से सात अप्रैल 2011 तक कोई अतिरिक्त वसूली नहीं की जानी चाहिए.
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