‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बड़े पैमाने पर ध्यान भटकाने का माध्यम : डेरेक ओ ब्रायन
पार्टी प्रमुख एवं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी हैं कि तृणमूल के सांसद संसद में इस कठोर कानून का पुरजोर विरोध करेंगे.
कोलकाता/नयी दिल्ली. सांसद व तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने शनिवार को कहा कि एक साथ चुनाव कराने संबंधी विधेयक लाने का केंद्र का फैसला बेरोजगारी और महंगाई जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए है. अपने ब्लॉग पर एक पोस्ट में राज्यसभा में तृणमूल संसदीय दल के नेता ओ ब्रायन ने दावा किया कि ध्यान देने की जरूरत है कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव जरूरी व वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने का एक और माध्यम है. इन मुद्दों में बेरोजगारी, महंगाई, संघीय-विरोधी नीतियां, मणिपुर, गिरता हुआ रुपया, वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद ईंधन की कीमतों में कटौती नहीं होना भी शामिल हैं. तृणमूल ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जतायी है. पार्टी प्रमुख एवं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी हैं कि तृणमूल के सांसद संसद में इस कठोर कानून का पुरजोर विरोध करेंगे. ओ ब्रायन ने कहा कि यह विधेयक पिछले साल पारित महिला आरक्षण विधेयक से काफी मिलता-जुलता है.
यह खबर प्राइम टाइम पर रही, जिसमें मणिपुर संकट से निबटने में सरकार की नाकामी को छुपाया गया. महिला आरक्षण विधेयक जनगणना और परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लागू हो सकता है, इसलिए यह जल्द से जल्द स्थिति में भी 2034 में लागू हो सकता है.
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक राष्ट्र एक चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति ने विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के संविधान और अन्य कानूनों में 18 संशोधनों की सिफारिश की है. आइडीएफसी संस्थान द्वारा किये गये एक अध्ययन से पता चला है कि यदि एक साथ चुनाव होते हैं, तो केंद्र और राज्यों में मतदाताओं द्वारा एक ही पार्टी को वोट देने की 77 प्रतिशत संभावना है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है