अदालत का छात्र समाज के संयाेजक को जमानत पर रिहा करने का आदेश
सायन की मां ने बेटे की गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए हाइकोर्ट का खटखटाया था दरवाजा
सायन की मां ने बेटे की गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए हाइकोर्ट का खटखटाया था दरवाजा 31 अगस्त को दोपहर दो बजे तक रिहा करना होगा कोलकाता. पश्चिम बंगाल छात्र समाज द्वारा आयोजित नबान्न अभियान के दौरान हुई हिंसा की घटना के बाद कोलकाता पुलिस ने इसके संयोजक सायन लाहिड़ी को गिरफ्तार किया है. सायन ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिस पर शुक्रवार को हाइकोर्ट की न्यायाधीश अमृता सिन्हा सुनवाई करते हुए सायन लाहिड़ी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. न्यायाधीश ने पुलिस को कहा कि 31 अगस्त दोपहर 2 बजे तक सायन को रिहा करना होगा. हाइकोर्ट में सुनवाई के दौरान सायन लाहिड़ी के वकील ने दावा किया कि सायन ने किसी पर हमला नहीं किया और न ही पुलिस उनकी गिरफ्तारी का कोई कारण बता पायी है. राज्य की ओर से कहा गया कि सायन लाहिड़ी की रैली बिना पुलिस की अनुमति के आयोजित की गयी थी और इस रैली के कारण हिंसा हुई. इस आधार पर राज्य सरकार ने सायन की गिरफ्तारी को सही ठहराया. गौरतलब है कि आरजी कर अस्पताल की घटना के बाद संदीप घोष के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ था और उन पर गंभीर आरोप लगे थे. इन आरोपों के कारण उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद से सीबीआइ लगातार उनसे पूछताछ कर रही है. सुनवाई के दौरान सायन लाहिड़ी के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल पर तृणमूल कांग्रेस के फ्लेक्स को फाड़ने का आरोप है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या पुलिस किसी राजनीतिक पार्टी की संपत्ति की रक्षा कर रही है? सायन के खिलाफ तीन प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं. राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि सायन द्वारा आयोजित रैली के लिए पुलिस से कोई अनुमति नहीं ली गयी थी और रैली के दौरान हिंसा हुई. इसके समर्थन में राज्य ने रैली की अशांति की कुछ तस्वीरें भी अदालत में पेश कीं. सायन की गिरफ्तारी हो सकती है, तो संदीप घोष की क्यों नहीं : कोर्ट सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा के समक्ष यह सवाल भी उठा कि जब रैली के आयोजक सायन लाहिड़ी को गिरफ्तार किया गया, तो आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया, जिनका नाम इसी तरह की अराजकता के मामले में सामने आया है. न्यायमूर्ति ने राज्य सरकार से पूछा कि अगर रैली के आयोजक की गिरफ्तारी हो सकती है, तो फिर आरजी कर अस्पताल की घटना के लिए जिम्मेदार संदीप घोष की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?
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