कैसे ड्राइविंग करते हैं बस चालक, बैठक में मालिकों को पुलिस ने दिखाया वीडियो

बैठक में बस मालिकों को उनके चालक कैसे सड़कों पर लापरवाही से ड्राइविंग करते हैं, कैसे शराब के नशे में गाड़ी चलाते हैं, कैसे जहां-तहां बसों की रफ्तार तेज कर देते हैं, रोक कर यात्रियों को सवार होने देते हैं, इससे जुड़ीं कुछ वीडियो दिखायी गयी.

By Prabhat Khabar News Desk | January 8, 2025 1:41 AM

बस चालकों ने भी पुलिस की ओर से आये दिन चालान काटने से बढ़ रही दहशत का किया जिक्र कोलकाता. इन दिनों बस चालकों की लापरवाही से महानगर में कई सड़क हादसे हो चुके हैं. ऐसे में मंगलवार को कोलकाता ट्रैफिक पुलिस की तरफ से मध्य कोलकाता के रेंजर्स क्लब में महानगर के बस व मिनी बस मालिक संगठनों के साथ समन्वय बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में बस मालिकों को उनके चालक कैसे सड़कों पर लापरवाही से ड्राइविंग करते हैं, कैसे शराब के नशे में गाड़ी चलाते हैं, कैसे जहां-तहां बसों की रफ्तार तेज कर देते हैं, रोक कर यात्रियों को सवार होने देते हैं, इससे जुड़ीं कुछ वीडियो दिखायी गयी. मालिकों को बस चालकों की नियुक्ति के दौरान कुछ बातों को ध्यान में रखने की सलाह दी गयी. बस मालिकों ने भी पुलिस से बतायी अपनी पीड़ा: मीटिंग में बस मालिक संगठन की तरफ से सड़कों पर ट्रैफिक पुलिसकर्मियों द्वारा जुर्माना वसूलने के नाम पर चालकों पर अत्याचार करने का भी आरोप लगाया गया. कहा गया कि, कई बार ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के डर से चालक बसों की रफ्तार तेज करने को बाध्य होते हैं. डीसी ट्रैफिक श्रीकांत ने कहा कि यदि बस चालक थोड़े जागरूक रहें, तो कई दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है. बस ड्राइवर ट्रैफिक नियमों को गंभीरता से नहीं लेते. डीसी ट्रैफिक ने बस मालिकों से कहा कि ड्राइवर और कंडक्टरों को नौकरी पर रखने से पहले उन्हें अच्छी तरह से परख लें. मालिकों को यह जांचना चाहिए कि वे शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं या नहीं. उनके खिलाफ सड़क दुर्घटना के कितने मामले पहले से दर्ज हैं. यह सारी जानकारी ट्रैफिक विभाग से उपलब्ध है. इधर, सारा बांग्ला बस-मिनीबस कोऑर्डिनेशन एसोसिएशन के प्रतिनिधि राहुल चट्टोपाध्याय ने कहा कि सड़कों पर पुलिस द्वारा चालकों को परेशान करने की शिकायतें आये दिन मिलती हैं. इस कारण सड़क पर ट्रैफिक पुलिस को देखकर ड्राइवर डर जाते हैं. कई बार ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के मूड का भी ड्राइवर शिकार हो जाते हैं. पुलिस को वाहन चालकों के बीच से इस डर को दूर करना होगा. सभी दुर्घटनाओं के लिए ड्राइवर और कंडक्टरों को ही दोषी ठहराना सही नहीं है. सड़कों पर चलने वाले राहगीर भी इसके जिम्मेदार हैं. फुटपाथ पर बढ़ रही हॉकरों की संख्या के कारण सड़क पर राहगीरों को पैदल चलना पड़ता है. ऐसे में यदि कोई दुर्घटना होती है, तो जिम्मेदारी बस मालिकों पर आती है. बस मालिकों ने आरोप लगाया कि जिस तरह से हर दिन 500 से 1000 रुपये तक के केस दिये जाते हैं, उससे उनके बिजनेस को नुकसान हो रहा है. उन्होंने मांग की कि हर कदम पर केस देने का चलन कम किया जाये.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version