देश में कैंसर के मामलों में 12 से 18% वृद्धि की आशंका
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के विशेषज्ञों ने भारत में कैंसर के मामलों में 12% से 18% की वृद्धि की आशंका जतायी है.
संवाददाता, कोलकाता
विश्वभर में कैंसर तेजी से फैल रहा है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के विशेषज्ञों ने भारत में कैंसर के मामलों में 12% से 18% की वृद्धि की आशंका जतायी है. देश में कैंसर के मामले 2022 में 1.46 मिलियन (14.6 लाख) से बढ़कर 2025 में 1.57 मिलियन (15.7 लाख) तक पहुंच सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि कम उम्र से ही लोगों को कैंसर के प्रति सावधानी बरतने की आवश्यकता है. इसके लिए दिनचर्या में सुधार, पौष्टिक आहार का सेवन करना और रसायनों के अधिक संपर्क में आने से बचना प्रमुख है. जिनके परिवार में पहले से किसी को ये बीमारी रही है, उन्हें और सावधान रहने की आवश्यकता है. दुनियाभर में कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसकी रोकथाम, पहचान और इलाज को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से हर साल चार फरवरी विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. कैंसर आज दुनिया में मौत के बड़े कारणों में से एक है. ज्ञात रहे कि विश्व कैंसर दिवस की शुरुआत चार फरवरी 2000 को यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल ने की थी.बढ़ती उम्र में महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का खतरा
सर्वाइकल कैंसर के मुख्य रूप से युवा महिलाओं को प्रभावित करने की आम गलत धारणा के बावजूद चिकित्सा विशेषज्ञ रजोनिवृत्ति के करीब पहुंच रही महिलाओं के बीच जागरूकता, जांच और रोकथाम के महत्व पर जोर देते हैं. महिलाओं की उम्र बढ़ने के साथ सर्वाइकल कैंसर का जोखिम बना रहता है. इस बारे में कोलकाता आनंदपुर स्थित फोर्टिस अस्पताल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी के डॉ आशीष उपाध्याय ने बताया कि उम्र बढ़ने के बाद महिलाओं को नियमित शारीरिक जांच करानी चाहिए. अक्टूबर 2015 से सितंबर 2016 के दौरान हुए एक अध्ययन ने पैप स्मीयर डेटा का विश्लेषण किया, जिसमें रजोनिवृत्ति से पहले की महिलाओं की तुलना में रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं में प्रीमैलिग्नेंट और घातक घावों का अधिक प्रचलन पाया गया. राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के अनुसार, हर साल लगभग 123,907 महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की पहचान की जाती है. रजोनिवृत्ति के बाद भी सर्वाइकल कैंसर हो सकता है. महिलाओं को 65 वर्ष की उम्र तक स्क्रीनिंग करानी चाहिए. रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्राव, संभोग के बाद रक्तस्राव, योनि के निचले हिस्से में स्राव, पैल्विक दर्द और हेमट्यूरिया जैसे लक्षणों के देखे जाने पर तुरंत चिकित्सा का परामर्श लेना चाहिए. हालांकि धूम्रपान, शराब का सेवन, एक से अधिक लोगों के साथ यौन संबंध बनाने से सर्वाइकल कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है. देश में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की पहचान भी समय पर नहीं हो रही है. खासकर 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में. ओपीडी में इलाज के लिए लगभग 60-65% सर्वाइकल कैंसर के रोगी 40 वर्ष से अधिक उम्र के होते हैं. एचपीवी वैक्सीन से इस बीमारी से बचा जा सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है