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बंगाल में इस साल सादगी से मनाया जायेगा रथयात्रा उत्सव, मंदिर में श्रद्धालुओं को नहीं मिलेगा प्रवेश

पश्चिम बंगाल (West Bengal) में इस साल रथ यात्रा (Rathyatra) उत्सव बेहद सादगी से मनाया जायेगा. इस वार्षिक उत्सव का आयोजन करने वाली कई समितियों ने कोविड-19 महामारी (Covid- 19 Pandemic) के मद्देनजर श्रद्धालुओं (Devotees) से भीड़ एकत्र नहीं करने की अपील की है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 21, 2020 7:18 PM
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कोलकाता : पश्चिम बंगाल (West Bengal) में इस साल रथ यात्रा (Rathyatra) उत्सव बेहद सादगी से मनाया जायेगा. इस वार्षिक उत्सव का आयोजन करने वाली कई समितियों ने कोविड-19 महामारी (Covid- 19 Pandemic) के मद्देनजर श्रद्धालुओं (Devotees) से भीड़ एकत्र नहीं करने की अपील की है. इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISCON) ने पहले ही भगवान जगन्नाथ और उनके भाई भगवान बलभद्र और बहन सुभद्रा देवी के रथों को बाहर निकालने की अपनी योजना को रद्द कर दिया है, क्योंकि देवी-देवताओं के दर्शन करने के लिए भीड़ जुटने से संक्रमण के प्रसार का जोखिम हो सकता है. इस वर्ष 23 जून को उत्सव मनाया जाना निर्धारित है.

इस्कॉन के प्रवक्ता राधारमन दास ने कहा कि सोसायटी के अधिकारियों ने यह फैसला किया है कि यहां अल्बर्ट रोड मंदिर परिसर में किसी श्रद्धालु को प्रवेश नहीं दिया जायेगा, जहां देवी-देवताओं को रखा जायेगा और अगले मंगलवार (23 जून, 2020) को केवल सेवकों की उपस्थिति में धार्मिक अनुष्ठान किये जायेंगे.

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उन्होंने कहा कि शुरुआत में हमने 23 जून के अनुष्ठान के दौरान बेहद कम संख्या में श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर में प्रवेश देने का फैसला किया था. उच्चतम न्यायालय की ओर से पुरी रथ यात्रा पर रोक लगाये जाने के बाद अब हमने फैसला किया है कि उस दिन मंदिर परिसर में किसी श्रद्धालु को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जायेगी.

श्री दास ने कहा कि प्रतीकात्मक रथ यात्रा के तौर पर कुछ पुजारी और सेवक एक फुट ऊंचे रथ को मंदिर के अंदर ही भ्रमण करायेंगे. मायापुर स्थित इस्कॉन के वैश्विक मुख्यालय के अधिकारी इस साल डिजिटल रथ यात्रा (Digital rathyatra) का आयोजन करेंगे.

वहीं, कोविड-19 महामारी के चलते 624 वर्ष पुरानी महेश रथ यात्रा (Mahesh rathyatra) भी इस साल नहीं निकाली जायेगी. हुगली जिले के महेश स्थित जगन्नाथ मंदिर समिति की कार्यवाहक सचिव पियाली अधिकारी ने कहा कि मंदिर में किसी श्रद्धालु को प्रवेश नहीं दिया जायेगा, जहां भगवान जगन्नाथ और उनके दो भाई-बहन की पूजा की जायेगी.

Posted By : Samir ranjan.

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