मेडिकल के छात्रों की काउंसेलिंग के लिए उपकरण किराये पर लेने में भी हेराफेरी

आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में वित्तीय अनियमितता की जांच प्रवर्तन निदेशालय (इडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ), दोनों ही कर रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | September 19, 2024 1:58 AM

आरजी कर मामले में वित्तीय अनियमितता की जांच के दौरान सीबीआइ ने जतायी आशंका

संवाददाता, कोलकाता

आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में वित्तीय अनियमितता की जांच प्रवर्तन निदेशालय (इडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ), दोनों ही कर रहे हैं. इस मामले में मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ संदीप घोष समेत चार लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. सीबीआइ को मामले से जुड़े कई अहम तथ्य मिले हैं. केंद्रीय जांच एजेंसी को आशंका है कि मेडिकल के विद्यार्थियों की काउंसेलिंग के लिए विभिन्न उपकरण किराये पर लेने के नाम पर भी भारी मात्रा में धन की हेराफेरी की गयी. इस हेराफेरी में आरोपी घोष की अहम भूमिका हो सकती है. अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि उक्त मामले में कौन-कौन लोग शामिल हैं और काउंसेलिंग के लिए उपकरण किससे व कब किराये पर लिये गये थे.

सूत्रों के अनुसार, सीबीआइ को जांच में पता चला है कि वर्ष 2022 में एमबीबीएस कोर्स के विद्यार्थियों के लिए काउंसेलिंग आयोजित की गयी थी. आरजी कर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की ओर से इसके लिए कुछ उपकरण किराये पर लिये गये थे. इनमें सीसीटीवी कैमरे, कंप्यूटर, वाइफाइ, साउंड सिस्टम व प्रोजेक्टर शामिल थे. बजट में काउंसेलिंग से जुड़े स्टाफ के लिए भोजन और टिफिन का खर्च भी शामिल था. सभी सामान को केवल घोष की अनुमति से किराये पर लेने के लिए सूचीबद्ध किया गया था.

14 लाख रुपये का दिखाया गया खर्च

केंद्रीय जांच एजेंसी को पता चला कि इसके लिए करीब 14 लाख रुपये का खर्च दिखाया गया है. हालांकि, मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की ओर से ये उपकरण आसानी से खरीदे जा सकते थे. ऐसे में इन्हें खरीदने के बजाय किराये पर लेने का फैसला क्यों लिया गया? हर बार जब काउंसेलिंग की जाती थी, तो आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल की ओर से अलग-अलग स्थानों से किराये के उपकरण लाने और वापस करने के लिए दो बार कार किराये पर लेने के लिए भी अलग से बड़ी राशि का बजट भी रखा जाता था. सीबीआइ को आशंका है कि इसमें भी घोष और उसके करीबी उन संस्थानों से कमीशन लेते होंगे, जो उपकरण किराये पर देते थे. अस्पताल में एमबीबीएस और स्नातकोत्तर स्तर पर अलग-अलग समय पर काउंसेलिंग आयोजित की गयी थी. उस समय उपकरणों को अस्पताल की ओर से घोष की मदद से किराये पर लिया गया था.

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