संदीप के नार्को और अभिजीत के पॉलीग्राफ टेस्ट की मांगी अनुमति
सीबीआइ ने कोर्ट में किया आवेदन, 23 सितंबर को आ सकता है फैसला
सीबीआइ ने कोर्ट में किया आवेदन, 23 सितंबर को आ सकता है फैसला कोर्ट ने दोनों आरोपियों को 25 सितंबर सीबीआइ हिरासत में रखने का दिया निर्देश कोलकाता. आरजी कर कांड में गिरफ्तार टाला थाना के पूर्व ओसी अभिजीत मंडल और मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की सीबीआइ हिरासत की अवधि समाप्त होने पर शुक्रवार को दोनों को सियालदह कोर्ट में पेश किया गया. सीबीआइ ने दोनों को फिर अपनी हिरासत में लेने का आवेदन किया. साथ ही केंद्रीय जांच एजेंसी ने अदालत में संदीप का नार्को टेस्ट व मंडल का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने का भी आवेदन किया. सूत्रों के अनुसार, सीबीआइ अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि जांच में कई अहम तथ्य मिले हैं, जिसके आधार पर आरोपियों से आगे भी पूछताछ जरूरी है. वहीं, आरोपियों के अधिवक्ताओं ने अपने मुवक्किलों को जमानत देने का आवेदन किया. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने संदीप का नार्को टेस्ट और अभिजीत का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने के आवेदन पर कोई फैसला नहीं सुनाया. इस पर फैसला 23 सितंबर को आ सकता है. अदालत ने दोनों आरोपियों की जमानत याचिका खारिज करते हुए 25 सितंबर तक सीबीआइ हिरासत में रखे जाने का निर्देश दिया है. इधर, आरोपियों के अधिवक्ताओं की ओर से कहा गया कि जांच एजेंसी यह आशंका जता रही है कि उनके मुवक्किल साजिश में शामिल हो सकते हैं. उनके पास इसका कोई प्रमाण मिला है. यदि, नहीं तब उनकी जमानत के आवेदन को मंजूर किया जाना चाहिए. उन्होंने सीबीआइ की जांच की गति पर भी सवाल उठाया. इधर, अदालत में केंद्रीय जांच एजेंसी ने एक बार फिर यह दावा किया मामले के पीछे बड़ी साजिश हो सकती है. आरोपियों के मोबाइल फोन कॉल्स की रिकॉर्डिंग की जांच में मिले तथ्यों के आधार पर कुछ लोगों से पूछताछ भी हुई है. उनके बयान के आधार पर दोनों आरोपियों से पूछताछ अहम है. अस्पताल के सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग की पड़ताल जारी है. टाला थाने के सीसीटीवी फुटेज की भी जांच हो रही है. वारदात वाले रोज अस्पताल में कुछ संदेहजनक लोगों की आवाजाही की बात भी पता चली है. सीबीआइ पहले ही घटना के बाद सबूतों से छेड़छाड़, क्राइम स्पॉट से सबूत मिटाने व पुलिस की जांच प्रक्रिया देर से शुरू करने का भी आरोप लगा चुकी है. वारदात के बाद संदीप घोष व टाला थाने के तत्कालीन ओसी के बीच फोन पर कई बार बातचीत हुई थी. सीबीआइ की ओर से यह भी आरोप लगाया मामले की प्राथमिकी काफी घंटों बाद दर्ज की गयी. मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल भी काफी देर से घटनास्थल पर पहुंचे. संदीप और टाला थाने के ओसी की भूमिका को लेकर कई सवाल हैं, जिसका जवाब मामले की जांच में जरूरी है. अदालत में न्यायाधीश ने मंडल व घोष की भूमिका को लेकर सीबीआइ से जानना चाहा और पूछा कि “पहले दिन यह जानना चाहा था कि दोनों क्या दुष्कर्म व हत्या के मामले में शामिल हैं? ऐसा कोई तथ्य मिला है? घटना के समय दोनों कहां थे? इसकी जानकारी ली गयी है? अभी तक जांच में क्या तथ्य मिले हैं?” इसके बाद सीबीआइ के अधिवक्ता ने कहा कि कुछ ऐसी बाते हैं, जो आरोपियों से पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है. हालांकि, दोनों पर यह भी आरोप लग रहे हैं कि वे जांच में सीबीआइ को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं. जांच में मिले तथ्यों, डिजिटल उपकरणों के साक्ष्यों के साथ आरोपियों के बयान में समानता नहीं है. दोनों के बयान में विसंगतियां मिल रही हैं. यही वजह है कि सीबीआइ ने घोष का नार्को टेस्ट और मंडल का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने का अदालत में आवेदन किया. घोष का पहले ही पॉलीग्राफ टेस्ट हो चुका है. उसके अलावा मामले में गिरफ्तार पूर्व सिविक वॉलंटियर संजय राय और अन्य 11 लोगों का पॉलीग्राफ टेस्ट हो चुका है. सीबीआइ ने संजय का नार्को टेस्ट के लिए अदालत में आवेदन किया था, जिसकी अनुमति नहीं मिली थी. आरोपियों के खिलाफ कोर्ट परिसर में फिर लगे नारे दोनों आरोपियों को कड़ी सुरक्षा के बीच सियालदह कोर्ट लाया गया. एक बार फिर अदालत परिसर में वकीलों के एक वर्ग व लोगों ने उनके खिलाफ नारेबाजी की. उनके समक्ष ‘चोर-चोर’ के नारे लगाये गये. इतना ही नहीं, जूते-चप्पल भी दिखाये गये. इसके पहले भी गत मंगलवार और रविवार को अदालत में दोनों आरोपियों के खिलाफ लोगों ने अपना गुस्सा जाहिर किया था.
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