आरजी कर : महिला चिकित्सक से दुष्कर्म और हत्या के दोषी संजय राय को आजीवन कारावास
कोलकाता पुलिस के पूर्व सिविक वॉलेंटियर संजय राय को सियालदह कोर्ट के अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश अनिर्बाण दास ने सोमवार को आजीवन कारावास की सजा सुनायी.
कोर्ट ने घटना को ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ नहीं माना, मृतका के माता-पिता फैसले से संतुष्ट नहीं, ऊपरी अदालत जायेंगे
संवाददाता, कोलकाताशहर के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक प्रशिक्षु महिला चिकित्सक से दुष्कर्म और हत्या की जघन्य घटना में दोषी करार दिये गये कोलकाता पुलिस के पूर्व सिविक वॉलेंटियर संजय राय को सियालदह कोर्ट के अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश अनिर्बाण दास ने सोमवार को आजीवन कारावास की सजा सुनायी. राय पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की दो अलग-अलग धाराओं के तहत 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगा है. जुर्माने की राशि नहीं देने पर उसे पांच-पांच महीने अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी. कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को आदेश दिया है कि वह मृतका के परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा दे. न्यायाधीश ने संजय राय से कहा: मैं आपको आजीवन कारावास की सजा सुना रहा हूं, अर्थात आपके जीवन के अंतिम दिन तक कारावास. यह सजा पीड़िता के साथ दुष्कर्म के दौरान उसे चोट पहुंचाने के लिए है, जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गयी. फैसला सुनाते वक्त न्यायाधीश ने कहा कि यह कोई मामूली अपराध नहीं है, लेकिन यह अपराध ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ (जघन्यतम) श्रेणी में नहीं आता है, ताकि दोषी को मृत्युदंड दिया जा सके. संजय राय को गत शनिवार को बीएनएस की धारा 64 (दुष्कर्म), 66 (पहुंचाये गये गंभीर चोट के कारण मृत्यु होना) और 103 (1) (हत्या) के तहत दोषी ठहराया गया था. दुष्कर्म व हत्या की वारदात पिछले वर्ष नौ अगस्त को हुई थी और दोषी की सजा वारदात के करीब 164 दिनों बाद मुकर्रर हुई. पिछले वर्ष नौ अगस्त को हुई इस घटना के बाद पूरे देश में लंबे समय तक अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन हुए. सोमवार अपराह्न पौने तीन बजे दोषी को सजा का एलान करते हुए न्यायाधीश दास ने कहा कि बीएनएस की धारा 64 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनायी जा रही है और इसी धारा के तहत दोषी पाये जाने के कारण 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया जा रहा है. जुर्माना अदा न करने पर पांच महीने कारावास की अतिरिक्त सजा काटनी होगी. जज ने कहा, बीएनएस की धारा 103(1) के तहत भी अभियुक्त संजय राय को आजीवन कारावास की सजा सुनायी जाती है. इसी धारा के तहत भी 50 हजार रुपये का जुर्माना तय हुआ है और जुर्माना नहीं देने पर पांच महीने कारावास की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. इसके अलावे बीएनएस की धारा 66 के तहत भी दोषी को आजीवन कारावास की सजा दी जाती है.न्यायाधीश ने फैसले में कहा: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने मृत्युदंड देने का अनुरोध किया. बचाव पक्ष के वकील ने अनुरोध किया है कि मृत्युदंड के बजाय वैकल्पिक सजा यानी कारावास की सजा दी जाये. यह मामला जघन्यतम अपराध की श्रेणी में नहीं आता है. जस्टिस दास ने कहा: चूंकि पीड़िता की मौत उसके कार्यस्थल पर ड्यूटी के दौरान हुई थी, इसलिए राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह चिकित्सक के परिवार को मुआवजा दे. ऐसे में मृत्यु के लिए 10 लाख रुपये और दुष्कर्म के लिए सात लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया जाता है. न्यायाधीश ने अभियुक्त राय से कहा कि उसे इस निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करने का अधिकार होगा और जरूरत पड़ने पर उसे कानूनी सहायता भी उपलब्ध करायी जायेगी. उन्होंने पीड़िता के परिजनों को भी यह कहा कि यदि वे भी चाहें, तो उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं. न्यायाधीश ने यह सजा दोषी के अंतिम बयान, बचाव पक्ष, पीड़िता के परिजनों के वकील और सीबीआइ की दलीलों को सुनने के बाद सुनायी है.
अदालत में सुनवाई के दौरान सीबीआइ के वकील और पीड़िता के माता-पिता के अधिवक्ता ने इस अपराध को ‘जघन्यतम’ बताते हुए दोषी को अधिकतम सजा देने की अपील की थी. सीबीआइ ने अदालत से कहा था, ‘संजय का अपराध रेयरेस्ट ऑफ द रेयर है. अगर कड़ी सजा नहीं मिली, तो समाज भरोसा खो देगा. यह कोई मामूली अपराध नहीं है. महिला चिकित्सक की निर्ममता से हत्या की गयी. हम समाज में लोगों का विश्वास बनाये रखने के लिए दोषी को कड़ी से कड़ी सजा का अनुरोध करते हैं.’ न्यायाधीश ने दोषी के बयान, बचाव पक्ष और पीड़िता के परिजनों के वकील तथा सीबीआइ की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुना दिया.सजा से पूर्व कोर्ट ने अभियुक्त को सुना : सजा की घोषणा से पहले न्यायाधीश ने दोषी को भी सुना. इस दिन भी अभियुक्त संजय राय ने खुद को बेकसूर बताते हुए कहा, ‘मैं दोषी नहीं हूं. मुझे फंसाया गया है. बहुत कुछ बर्बाद हो गया है. मैंने कोई अपराध नहीं किया है. मुझ पर दोष स्वीकार करने का दबाव बनाया जा रहा है. जेल में मुझे पीटा गया और मुझसे जबरन कागजात पर हस्ताक्षर करवाये गये. मैंने रुद्राक्ष की माला पहन रखी थी. यदि मैं ऐसा करता (घटना को अंजाम देता) तो मेरी रुद्राक्ष की माला टूट जाती. मैं गरीब हूं. जो अपराध मैंने नहीं किया, उसकी सजा मुझे दी जा रही है.’
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