कलकत्ता हाइकोर्ट ने राज्य के वकीलों की अनुपस्थिति पर जतायी गंभीर आपत्ति, बहुत दुखद करार दिया

सुंदरबन में बाघ के हमले के पीड़ितों के मुआवजे से संबंधित था मामला

By Prabhat Khabar News Desk | September 6, 2024 1:09 AM

सुंदरबन में बाघ के हमले के पीड़ितों के मुआवजे से संबंधित था मामला मुख्य न्यायाधीश ने कहा : जब तक कोई मामला राजनीतिक रूप से संवेदनशील न हो, कोई भी सरकारी वकील ऐसे मामलों में तुरंत उपस्थित नहीं होता कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अपने समक्ष सूचीबद्ध खासकर वैसे मामलों में राज्य सरकार के वकीलों की गैर-मौजूदगी पर गुरुवार को गंभीर चिंता व्यक्त की, जो राजनीतिक रूप से संवेदनशील नहीं होते हैं. मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुंदरबन में बाघ के हमले के पीड़ितों की दुर्दशा के बारे में एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील की गैर-मौजूदगी को लेकर यह टिप्पणी की, जबकि अदालत ने इस बारे में पहले ही निर्देश जारी किया हुआ था. मुख्य न्यायाधीश ने कहा : जब तक कोई मामला राजनीतिक रूप से संवेदनशील न हो, कोई भी सरकारी वकील ऐसे मामलों में तुरंत उपस्थित नहीं होता है. उन्होंने सरकार द्वारा वकीलों को मामले सौंपे जाने की प्रक्रिया पर सवाल उठाया और स्थिति को ‘बहुत दुखद’ करार दिया. उन्होंने हर मामले में राज्य सरकार की ओर पेश होनेवाले वकील के बारे में जानकारी उपलब्ध न कराये जाने से उत्पन्न असुविधा का संज्ञान लिया. खंडपीठ ने राज्य सरकार के वकीलों को मामलों का आवंटन उचित तरीके से किये जाने की नसीहत देते हुए कहा : यदि यह हाल अदालत संख्या-एक (मुख्य न्यायाधीश की अदालत) का है, तो अन्य अदालतों की दुर्दशा की सहज कल्पना की जा सकती है. खंडपीठ में न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य भी शामिल थे. अब 26 को होगी मामले की सुनवाई इसने कहा कि यह खेद की बात है कि नौ मई को आदेश पारित किये जाने के बावजूद राज्य सरकार की ओर से कोई भी वकील उपस्थित नहीं हुआ. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 26 सितंबर निर्धारित की है. राज्य सरकार के वकील मोहम्मद गालिब अदालत में मौजूद तो थे, लेकिन जनहित याचिका के सिलसिले में पेश नहीं हो रहे थे. उन्होंने राज्य सरकार की ओर से बिना शर्त माफी मांगी. मोहम्मद गालिब से अनुरोध किया गया कि वह सरकारी वकील के कार्यालय को सूचित करें, ताकि सुधारात्मक उपाय सुनिश्चित किये जा सकें. पीठ ने कहा कि उसके समक्ष मौजूदा याचिका में अदालत ने नौ मई को याचिकाकर्ता को सरकारी वकील के कार्यालय में नोटिस देने का निर्देश दिया था, ताकि राज्य सरकार की ओर से एक वकील उपस्थित हो सकें और वह मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अदालत के समक्ष राज्य सरकार का पक्ष रख सकें. अदालत ने कहा कि अप्रैल में एक बार राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पेश हुए थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version