संवाददाता, कोलकाता
कलकत्ता हाइकोर्ट ने जमीन अधिग्रहण से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि राइट ऑफ एमिनेंट डोमेन के तहत राज्य सरकार को व्यापक सार्वजनिक हित के लिए उचित मुआवजा देकर निजी संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार है. कोर्ट के समक्ष मौजूद मामले में न्यायाधीश अनिरुद्ध रॉय ने मेट्रो रेलवे निर्माण के लिए याचिकाकर्ता के परिसर को अधिग्रहित करने की अनुमति प्रदान कर दी.
हाइकोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक उपयोग के लिए निजी संपत्ति को अधिग्रहित करने की राज्य में निहित संप्रभु शक्ति, भूमि के मालिक को उचित मुआवजे के भुगतान के साथ पूर्ण हो जाती है.
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ने मेट्रो रेलवे निर्माण के लिए अपनी भूमि के संभावित अधिग्रहण से व्यथित होकर, राहत के लिए हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. मेट्रो रेलवे द्वारा अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होने के बाद, अन्य अधिभोगी परिसर छोड़कर चले गये, जबकि याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तावित अधिग्रहण के खिलाफ अपनी आपत्तियां प्रस्तुत की थी.
हालांकि, मामले की सुनवाई करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया कि व्यापक सार्वजनिक हित के लिए राज्य सरकार के पास निजी संपत्तियों को अधिग्रहण करने का अधिकार है.
हालांकि हाइकोर्ट ने अधिकारियों को याचिकाकर्ताओं के साथ उनकी भूमि के बदले में मुआवजे की उचित दर तय करने के लिए सुनवाई करने का निर्देश दिया और साथ ही कहा कि अगर राज्य सरकार किसी स्थान पर अपने स्वामित्व वाली जगह देना चाहती है, तो वह दे सकती है.
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