वेस्ट बंगाल पैरा टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन की मांग
संवाददाता, कोलकाता
शनिवार को प्रेस क्लब में वेस्ट बंगाल पैरा टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में पैरा टीचर्स ने राज्य सरकार से स्थायीकरण की मांग की. करीब 20 सालों से पैरा टीचर्स काफी न्यूनतम वेतन पर काम कर रहे हैं, जिस कारण आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल हलीम और उपाध्यक्ष जीवन कुमार दास ने बताया कि वर्ष 2004 में प्राइमरी में एक हजार और अपर प्राइमरी में दो हजार पैरा टीचर्स थे. 2004 व 2006 में वाममोर्चा के शासनकाल में पैरा टीचर्स के वेतन में मामूली वृद्धि की गयी थी. उसके बाद वेतन नहीं बढ़ा. 2011 में पहली बार सीएम बनने के बाद ममता बनर्जी ने मंच से घोषणा की थी कि वह सिंगूर में जमीन नहीं देने के इच्छुक किसानों को उनकी जमीन लौटायेंगी और पैरा टीचर्स को तीन सालों के अंदर स्थायी करने की व्यवस्था करेंगी. लेकिन अब तक पैरा शिक्षकों को स्थायी नहीं किया था. कुछ पैरा टीचर्स का कहना है कि उनके प्रयास से ही बंगाल के हजारों ड्रापआउट बच्चों को स्कूल लाया गया, लेकिन उनकी सुध सरकार नहीं ले रही है.
अब्दुल हलीम ने कहा कि वर्तमान में 20 सालों से पढ़ा रहे प्राइमरी के पैरा टीचर को 9,799 रुपये और अपर प्राइमरी के पैरा टीचर को 12,767 रुपये मासिक वेतन मिल रहा है. इतने कम पैसों में उनका गुजारा नहीं चल रहा है. आर्थिक संकट से जूझ रहे कई पैरा टीचर्स आत्महत्या भी कर चुके हैं. हम सरकार से उन्हें शीघ्र स्थायी करने व वेतन बढ़ाने की मांग करते हैं.
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