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केंद्रीय मंत्री का आरोप, फास्ट ट्रैक कोर्ट खोलने के प्रति राज्य सरकार उदासीन

महिला एवं बाल विकास मंत्री ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखे पत्र में पश्चिम बंगाल में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कानूनी ढांचे और न्यायिक प्रक्रियाओं को लागू करने की तात्कालिकता पर जोर दिया.

एजेंसियां, कोलकाता/नयी दिल्ली

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने महिलाओं और लड़कियों के लिए महत्वपूर्ण सुरक्षा उपायों को लागू करने में कथित विफलता के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि राज्य ने शेष 11 विशेष त्वरित अदालतें शुरू करने के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाया है, जबकि राज्य में दुष्कर्म और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून (पॉक्सो) के 48,600 मामले लंबित हैं.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखे पत्र में मंत्री ने महिला हेल्पलाइन (डब्ल्यूएचएल), आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (इआरएसएस) और ‘चाइल्ड हेल्पलाइन’ जैसी प्रमुख आपातकालीन हेल्पलाइन को लागू करने में ‘विफल रहने के लिए’ पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना की.

उन्होंने हिंसा के पीड़ितों को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए इन सेवाओं को आवश्यक बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कई बार स्मरण कराये जाने के बावजूद राज्य ने अभी तक उन्हें एकीकृत नहीं किया है. उन्होंने तर्क दिया कि यह चूक पश्चिम बंगाल में महिलाओं और बच्चों को संकट के समय जरूरी सहयोग से वंचित करती है. उन्होंने यौन अपराधों से संबंधित मामलों के एक महत्वपूर्ण बैकलॉग के बावजूद केंद्र प्रायोजित योजना के तहत आवंटित विशेष त्वरित अदालतें संचालित करने में राज्य की असमर्थता का उल्लेख किया.

महिला एवं बाल विकास मंत्री ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखे पत्र में पश्चिम बंगाल में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कानूनी ढांचे और न्यायिक प्रक्रियाओं को लागू करने की तात्कालिकता पर जोर दिया. अक्तूबर 2019 में शुरू की गयी विशेष त्वरित अदालतों से जुड़ी योजना, दुष्कर्म और पॉक्सो से संबंधित लंबित मामलों की सुनवाई और निपटान में तेजी लाने के लिए तैयार की गयी थी. इस योजना के तहत, केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल को 123 ऐसी अदालतों की स्थापना के लिए कहा था, जिनमें 20 विशेष पॉक्सो अदालतें और दुष्कर्म एवं पॉक्सो, दोनों मामलों के लिए 103 संयुक्त अदालतें शामिल हैं.

मंत्री का कहना है कि जून, 2023 के मध्य तक इनमें से कोई भी अदालत चालू नहीं हुई थी. अन्नपूर्णा देवी ने बताया कि जून, 2023 में सात एफटीएससी शुरू करने की राज्य सरकार की प्रतिबद्धता के बावजूद, 30 जून, 2024 तक केवल छह विशिष्ट पॉक्सो अदालतें ही चल रही थीं. उन्होंने कहा कि राज्य में दुष्कर्म और पॉक्सो के 48,600 मामले लंबित होने के बावजूद यह विलंब जारी है.

मंत्री ने शेष 11 विशेष त्वरित अदालतों को सक्रिय करने में राज्य सरकार की निष्क्रियता पर गंभीर चिंता व्यक्त की. मंत्री ने पश्चिम बंगाल सरकार से महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव और हिंसा को खत्म करने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने का आग्रह किया. उन्होंने एक सुरक्षित और संरक्षित वातावरण बनाने का आह्वान किया जो लैंगिक समानता को बढ़ावा दे और महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए सशक्त बनाये.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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