कोलकाता. दुर्गापूजा से पहले जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल पर चले जाने से सरकारी मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा सकती है. जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल पर रहने से राज्य भर में मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है. स्वास्थ्य सेवाएं धीरे-धीरे चरमरा रही हैं, विशेषकर सीमांत क्षेत्रों में. आशंका है कि एक बार फिर उनकी हड़ताल पर जाने से आम लोगों की परेशानी बढ़ जायेगी. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का मुद्दा उठा. शीर्ष अदालत ने एक बार फिर जूनियर डॉक्टरों को काम पर लौटने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि न केवल आपातकालीन सेवाएं, बल्कि आउटडोर में भी कार्य करने को कहा है. इससे आम आदमी को परेशानी हो रही है. सरकारी अस्पताल अब मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है. इलाज के लिए मरीजों को अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. बता दें कि राज्य में डॉक्टरों की संख्या पहले से ही सीमित है. सरकारी अस्पतालों में एक चिकित्सक को 60-70 मरीजों को आउटडोर में देखना पड़ता है. परिणामस्वरूप, जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर रहने से अब सीनियर चिकित्सकों को भी परेशानी हो रही है.
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