भरण-पोषण के लिए विवाह का सख्त सबूत अनिवार्य नहीं: हाइकोर्ट

धारा 125 के तहत भरण-पोषण का दावा करने के लिए विवाह का सख्त सबूत अनिवार्य नहीं है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 29, 2024 1:44 AM

कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश अजय कुमार गुप्ता ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा कि यदि कोई पुरुष और महिला काफी समय से पति-पत्नी के रूप में साथ रह रहे हैं, तो दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत भरण-पोषण का दावा करने के लिए विवाह का सख्त सबूत अनिवार्य नहीं है. कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि विवाह का प्रथम दृष्टया मामला अभाव को रोकने के उद्देश्य से प्रावधान की भावना को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. यह फैसला एक आपराधिक पुनरीक्षण याचिका के जवाब में आया, जिसमें पहले के आदेश को चुनौती दी गयी थी, जिसमें एक महिला को मेंटेनेंस देने से इनकार कर दिया गया था. लेकिन उसकी नाबालिग बेटी के लिए कथित तौर पर उसके पति से 3,000 रुपये प्रति माह देने का आदेश दिया गया था. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसने 2006 में कोलकाता के एक मंदिर में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार प्रतिवादी से विवाह किया था. विवाह के बाद, दंपति पति-पत्नी के रूप में रहने लगे, जिसके परिणामस्वरूप 2007 में उनकी बेटी का जन्म हुआ. हालांकि, बाद में प्रतिवादी ने विवाह और बच्चे के पितृत्व से इनकार कर दिया, जिसके कारण लंबी कानूनी लड़ाई चली.

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