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एक से आरजी कर में पोस्टमार्टम करेंगे अधीक्षक

आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के मुर्दा घर की एक विवादित वीडियो वायरल होने के बाद एक बार फिर अस्पताल प्रबंधन के कामकाज पर सवाल खड़ा हो रहा है. वायरल वीडियो के सामने आने के बाद अस्पताल के अधीक्षक सप्तर्षि चटर्जी ने बताया कि अब वह खुद सप्ताह में एक या दो दिन पोस्टमार्टम करेंगे.

By Prabhat Khabar News Desk | November 23, 2024 11:26 PM

कोलकाता.

आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के मुर्दा घर की एक विवादित वीडियो वायरल होने के बाद एक बार फिर अस्पताल प्रबंधन के कामकाज पर सवाल खड़ा हो रहा है. वायरल वीडियो के सामने आने के बाद अस्पताल के अधीक्षक सप्तर्षि चटर्जी ने बताया कि अब वह खुद सप्ताह में एक या दो दिन पोस्टमार्टम करेंगे. हालांकि प्रभात खबर वायरल वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता. इस वीडियो में देखा जा रहा है कि मुर्दाघर में पोस्टमार्टम के बाद मृतक की जांच से संबंधित सभी रिपोर्ट, शव की साफ-सफाई करने वाले कर्मी तैयार कर रहे हैं. देखा जा रहा है कि मुर्दाघर का एक कर्मी शव से संबंधित सभी तरह की जानकारी विभाग को वरिष्ठ डॉक्टर को लिखवा रहा है.

इस ग्रुप डी कर्मी द्वारा तैयार रिपोर्ट के आधार पर ही चिकित्सक फाइन रिपोर्ट तैयार कर रहा है और उस रिपोर्ट के आधार पर आगे बहुत कुछ घटित होता है. लेकिन यहां सवाल यह है कि एक वरिष्ठ डॉक्टर, केवल ग्रुप डी कर्मी से जानकारी लेकर आये दिन कैसे पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार कर सकता है.

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, आरजी कर में एक आत्महत्या करने वाली एक युवती के शव का पोस्टमार्टम किया गया था. वीडियो में देख जा रहा है कि युवती का शव फर्श पर पड़ा हुआ है. वहीं, विभाग के दो कर्मी मृतका के शरीर के बाहरी हिस्सों की जांच कर रहे हैं. वहीं, एक तीसरा व्यक्ति चिकित्सक के पास खड़ा होकर शव से संबंधित जानकारी दे रहा है और सीनियर डॉक्टर शव की तरफ एक बार भी नहीं देख रहा है. वीडियो में यह भी देखा जा रहा है कि एप्रन पहने एक व्यक्ति मुर्दाघर के कार्यालय में एक मेज के सामने खड़ा है. उसके सामने एक युवक भी खड़ा है. उस युवक के हाथ में एक नोट दिख रहा है. यह व्यक्ति मृतका का वजन, सिर पर चोट के स्थान और पोस्टमार्टम से संबंधित अन्य रिपोर्ट लिखा रहा है.

अस्पताल सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, वीडियो में जिन लोगों को शव की जांच करते देखा जा रहा है, वे सभी मुर्दाघर के ग्रुप डी स्टॉफ हैं. यानी ये लोग शव की साफ-सफाई करते हैं. वहीं, वीडियो में सफेद एप्रन पहने दिख रहा शख्स फॉरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट सीनियर डॉक्टर है. यहां सवाल यह है कि कैसे ग्रुप डी कर्मी शरीर का परीक्षण कर सकता है. यह इस तरीके से शव परीक्षण करने की तर्क संगतता पर भी सवाल उठाता है. क्योंकि अगर डॉक्टर बिना देखे ही ग्रुप डी कर्मी की हर बात सुन लेंगे और रिपोर्ट बना देंगे, तो रिपोर्ट की सत्यता व प्रमाणिकता पर सवाल उठेगा ही. इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?

स्वास्थ्य विभाग ने मांगी रिपोर्ट

इस बीच, फॉरेंसिक विभाग के प्रमुख से इस बारे में पूछताछ की गयी, तो विभागाध्यक्ष ने कहा कि पोस्टमार्टम, सीनियर डॉक्टर या पीजीटी करते हैं और ग्रुप डी कर्मी सहयोग. मामले के सामने आने पर स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल प्रबंधन से रिपोर्ट मांगी है. उधर, आरजी कर के प्रिंसिपल प्रो डॉ सप्तर्षि चटर्जी ने कहा कि वह खुद भी फॉरेंसिक मेडिसिन विशेषज्ञ है. उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए वे खुद एक दिसंबर में सप्ताह में एक या दो दिन पोस्टमार्टम करेंगे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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