कोलकाता. सुप्रीम कोर्ट ने चीनी उद्योग द्वारा जूट पैकेजिंग के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) को खारिज कर दिया. यह फैसला न केवल जूट उद्योग के लिए, बल्कि भारत की पर्यावरणीय और सामाजिक नीतियों के लिए मील का पत्थर है. चीनी लॉबी ने तर्क दिया था कि जूट बैग का अनिवार्य उपयोग उनका उत्पादन लागत बढ़ाता है और यह निर्यात और घरेलू बाजारों में चीनी को प्रतिस्पर्धा में पीछे करता है. उन्होंने जूट बैग में सफाई और गुणवत्ता की समस्याओं को लेकर भी सवाल उठाए. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन तर्कों को खारिज करते हुए सरकार की जूट पैकेजिंग नीति को सही ठहराया. हालांकि चीनी उद्योग के मामले को अब कर्नाटक की ट्रायल कोर्ट में फिर से सुना जाएगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला जूट उद्योग के लिए एक मजबूत आधार बना है.
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