WB Governor : छेड़छाड़ के आरोप में फंसे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस (Governor CV Anand Bose) पर दबाव बढ़ गया है. ‘पीड़िता’ ने सुप्रीम कोर्ट से राज्यपाल पर लगे आरोपों की जांच की इजाजत मांगी. राज्य सरकार ने राज्यपाल के खिलाफ जांच की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख भी किया है. जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और केंद्र को एक साथ नोटिस भेजा है. शीर्ष अदालत ने इस मामले से निपटने में अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी से सहायता करने को कहा उसने पश्चिम बंगाल राजभवन की महिला कर्मचारी से कहा कि वह अपनी याचिका में केंद्र को भी पक्षकार बनाए.
पीडिता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
यह अनुच्छेद, संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का अपवाद है और प्रावधान करता है कि राष्ट्रपति या राज्यपाल अपने पद के तहत प्राप्त शक्तियों के इस्तेमाल और कर्तव्यों के लिए किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं हैं. महिला याचिकाकर्ता ने राज्यपालों को आपराधिक अभियोजन से छूट प्रदान करने के संबंध में विशिष्ट दिशा-निर्देश तैयार करने के निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया है. लेकिन कलकत्ता हाई कोर्ट ने उस जांच पर स्थगन आदेश जारी कर दिया. नतीजतन, जांच अंततः बंद कर दी गई. हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ ‘पीड़ित’ ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिसरार की पीठ ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई की और राज्य ने राज्यपाल से यातना के आरोपों के आधार पर जांच की मंजूरी की मांग की है.
Mamata Banerjee : ममता बनर्जी सरकार की अनूठी पहल, बेरोजगाराें को अब मिलेगा रोजगार
क्या है मामला
राज्य में लोकसभा चुनाव के माहौल में 2 मई को राज्यपाल पर विस्फोटक आरोप लगे थे. राजभवन की एक अस्थायी महिला कर्मचारी का दावा है कि गवर्नर सीवी आनंद बोस ने उसके साथ छेड़छाड़ की. उन्होंने सबसे पहले यह बात राजभवन में पुलिस को बताई. बाद में महिला थाने पहुंची और यही दावा किया. हालाकि, संवैधानिक सुरक्षा उपायों के कारण. कोलकाता पुलिस राज्यपाल के खिलाफ ऐसे विस्फोटक आरोपों पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकी.पुलिस ने राजभवन के सीसीटीवी फुटेज जुटाने की कोशिश की. इसके अलावा पुलिस ने महिला को पुलिस के पास जाने से रोकने के आरोप में राजभवन के कई कर्मियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है.