कोलकाता
. सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को दो सप्ताह के भीतर नगर भवन न्यायाधिकरण का गठन पूरा करने का निर्देश दिया है. साथ ही चेतावनी दी कि ऐसा नहीं करने पर न्यायालय की अवमानना पर कार्यवाही हो सकती है. कोलकाता नगर निगम अधिनियम, 1980 के तहत अनधिकृत निर्माण के लिए विध्वंस आदेश से पीड़ित कोई भी पक्ष 30 दिनों के भीतर नगर भवन न्यायाधिकरण में अपील कर सकता है. मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुयान की खंड़पीठ ने कहा कि पश्चिम बंगाल राज्य ने न्यायाधिकरण के लिए चेयरमैन नियुक्त किया, लेकिन अभी तक न्यायिक और तकनीकी सदस्यों की नियुक्ति नहीं की है, जिससे यह निष्क्रिय हो गया.न्यायालय ने कहा कि हालांकि, हमें सूचित किया गया कि किसी भी न्यायिक या तकनीकी सदस्य की अनुपस्थिति में न्यायाधिकरण निष्क्रिय है. हमें ऐसा लगता है कि राज्य ने हमारे आदेश का सही अर्थों में पालन नहीं किया. न्याय के हित में पश्चिम बंगाल सरकार को अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार न्यायिक और तकनीकी सदस्यों की नियुक्ति करने तथा कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के समक्ष अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया जाता है, जिसके विफल होने पर हम हाइकोर्ट से बिना किसी और देरी के न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध करते हैं.
इस प्रकार, कोर्ट ने निर्देश दिया कि न्यायाधिकरण के गठन में देरी के कारण विध्वंस आदेशों के खिलाफ वैधानिक अपील दायर करने में असमर्थ पीड़ित पक्ष राहत के लिए हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटायें. न्यायालय ने कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया कि वे परस्पर विरोधी आदेशों से बचने के लिए सभी संबंधित मामलों को अपनी खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध करें.नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट के तहत अग्रिम जमानत दिये जाने से सुप्रीम कोर्ट हैरान, राज्य सरकार को उचित कदम उठाने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (एनडीपीएस एक्ट) के तहत मामले में अग्रिम जमानत दिये जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया और पश्चिम बंगाल राज्य से कहा कि वह आरोपी को दी गयी अग्रिम जमानत रद्द करने के लिए आवेदन दायर करने पर विचार करे. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि एनडीपीएस एक्ट मामले में अग्रिम जमानत दिया जाना बहुत गंभीर मुद्दा है. इसलिए हम राज्य को निर्देश देते हैं कि वह इस बात पर विचार करे कि क्या वह आरोपी को दी गयी अग्रिम जमानत को रद्द करने के लिए आवेदन करने का प्रस्ताव रखता है. अधिवक्ता अभिजीत सेनगुप्ता ने जमानत पाने वाले सह-आरोपियों के साथ समानता के आधार पर आरोपी के लिए जमानत मांगी. उन्होंने पीठ को अवगत कराया कि चार आरोपियों को अग्रिम जमानत दी गयी. एक अन्य आरोपी को कलकत्ता हाइकोर्ट द्वारा नियमित जमानत दी गयी. उन्होंने न्यायालय को यह भी बताया कि आरोपी व्यक्ति लगभग 11 महीने से हिरासत में है. न्यायाधीश ने कहा कि एनडीपीएस मामले में अग्रिम जमानत? वे अन्य व्यक्ति कौन हैं, जिन्हें अग्रिम जमानत दी गयी है? एनडीपीएस मामले में अग्रिम जमानत दिए जाने की बात अनसुनी है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को उचित कदम उठाने का आदेश दिया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है