संवाददाता, हावड़ा.
हावड़ा नगर निगम में बोर्ड की मियाद खत्म हुए करीब छह साल बीत गये. अब तक चुनाव नहीं कराया गया. अंतिम बार वर्ष 2013 में यहां चुनाव हुआ था. निगम के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि पिछले छह वर्षों से बोर्ड नहीं है. शहरवासी चुनाव की उम्मीद लगाये बैठे हैं. ऐसे में राज्य सरकार ने फिर से निगम के प्रशासनिक बोर्ड का एक्सटेंशन कर चुनाव की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. मालूम रहे कि पिछले दिनों शहरी विकास मंत्रालय ने एक नोटिस जारी कर प्रशासनिक बोर्ड का एक्सटेंशन कर दिया. साथ ही बोर्ड सदस्यों की संख्या नौ से बढ़ाकर 11 कर दी.
नोटिस के मुताबिक, विगत तीन साल से प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन का पदभार संभाल रहे डॉ सुजय चक्रवर्ती को पद पर बरकरार रखा गया है. दो नये सदस्यों में उत्तर हावड़ा के विधायक गौतम चौधरी और एचआइटी के पूर्व चेयरमैन व पत्रकार बिश्व मजूमदार हैं. शहर में निकासी व्यवस्था की दशा सुधारने के लिए विधायक गौतम चौधरी को कंजरवेंसी का जिम्मा सौंपा गया है.
अब सवाल यह है कि सरकार को निगम चुनाव कराने में क्या परेशानी है? आखिर क्यों फिर से प्रशासनिक बोर्ड का एक्सटेंशन कर चुनाव को टाल दिया गया? सरकार के इस फैसले से शहरवासी बेहद नाराज हैं. उनका कहना है कि यह लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है. सत्तारूढ़ दल के नेता भी सरकार के इस फैसले से खुश नहीं हैं. तृणमूल नेताओं का कहना है कि प्रशासनिक बोर्ड से निगम का कामकाज संभालना संभव नहीं है. वार्ड में पार्षद नहीं होने से लोगों को भारी परेशानी हो रही है.
इस संबंध में माकपा के जिला सचिव दिलीप घोष ने कहा कि यह पूरी तरह से ज्यादती है. पूरे शहर की हालत बद से बदतर हो गयी है. भाजपा के प्रदेश सचिव उमेश राय ने कहा कि हाल ही में सीएम ममता बनर्जी ने निगम के कामकाज पर सवाल उठाया था. उन्होंने नाराजगी जाहिर की थी. इसके बावजूद प्रशासनिक बोर्ड की मियाद बढ़ा दी गयी.
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