कोलकाता. मध्यस्थ न्यायाधिकरण ने पश्चिम बंगाल सरकार को टाटा मोटर्स लिमिटेड के सिंगूर-नैनो प्रोजेक्ट को लेकर मुआवजा देने का आदेश दिया है. मध्यस्थ न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले टाटा मोटर्स लिमिटेड को हुए नुकसान के एवज में राज्य के पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम (डब्ल्यूबीआइडीसी) को ब्याज समेत 766 करोड़ रुपये मुआवजा के रूप में कंपनी को देना होगा. मध्यस्थ न्यायाधिकरण के इस फैसले को डब्ल्यूबीआइडीसी ने कलकत्ता हाइकोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर अब 12 नवंबर को सुनवाई होगी. बताया गया है कि मध्यस्थ न्यायाधिकरण ने पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम को सिंगूर में कंपनी के मैन्यूफैक्चरिंग साइट पर हुए नुकसान के मुआवजे के रूप में 766 करोड़ रुपये देने के आदेश दिया है. टाटा मोटर्स ने साल 2011 में ममता सरकार के उस कानून को चुनौती दी थी, जिसके जरिये कंपनी से जमीन वापस ले ली गयी थी. जून 2012 में कलकत्ता हाइकोर्ट ने सिंगूर अधिनियम को असंवैधानिक घोषित कर दिया और भूमि पट्टा समझौते के तहत कंपनी के अधिकारों को बहाल कर दिया. इस फैसले के बावजूद टाटा मोटर्स को जमीन का कब्जा वापस नहीं मिला. इसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने अगस्त 2012 में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की. अगस्त 2016 में, सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा नैनो प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण को अवैध घोषित किया और निर्देश दिया कि जमीन भूस्वामियों को वापस कर दी जाये. टाटा मोटर्स ने इसके बाद ज़मीन की लीज के समझौते के एक क्लॉज का हवाला देते हुए क्षतिपूर्ति की मांग की. क्लॉज के अनुसार, अगर जमीन के अधिग्रहण को अवैध भी माना जाये, तो राज्य, साइट पर लग चुकी लागत के लिए कंपनी को क्षतिपूर्ति देगा. टाटा मोटर्स ने इस मामले में मध्यस्थता की मांग की और अब करीब मामले के सात साल ट्रिब्यूनल में रहने के बाद मध्यस्थ न्यायाधिकरण ने टाटा मोटर्स के पक्ष में फैसला सुनाया था.
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