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कोरोना की जांच में बंगाल काफी पीछे, नहीं आ पा रहे सही आंकड़े

चीन के वुहान शहर से फैले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को जकड़ लिया है. इसके चलते पीएम मेदी ने देश में लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ा दिया है.

By Shaurya Punj | April 16, 2020 10:53 PM

कोलकाता : चीन के वुहान शहर से फैले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को जकड़ लिया है. इसके चलते पीएम मेदी ने देश में लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ा दिया है. कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा लोगों की जान अब तक अमेरिका में गयी है. भारत में गुरुवार तक 12,380 लोग संक्रमित हुए हैं. जहां दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात व केरल जैसे राज्य कोरोना से बेबस नजर आ रहे हैं. वहीं पश्चिम बंगाल की छवि कुछ अलग है. राज्य सरकार के अनुसार गुरुवार तक 156 लोग ही संक्रमित हुए हैं जबकि गुरवार दोपहर तक देश में 414 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं राज्य सरकार महज 10 लोगों की ही मौत बता रही है.

अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर बंगाल में कोरोना वायरस के मामले इतने कम क्यों हैं ? दरअसल, इसकी वजह यह है कि राज्य में कोरोना वायरस की ज्यादा जांच नहीं हो पा रही है, जिसके चलते कोरोना वायरस के सटीक आंकड़े सामने नहीं आ पा रहे हैं. कोरोना की जांच के लिए 11 सरकारी व निजी जांच केंद्रों को इजाजत दे दी गयी है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के आंकड़े के मुताबिक भारत में कोरोना की जांच के लिये 166 लैब हैं. वहीं अब तक 2,90,401 कोविड-19 टेस्ट किये गये हैं. इनमें से 12380 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं. बुधवार को 30,043 टेस्ट कराये गये, जबकि पश्चिम बंगाल में 16 अप्रैल तक मात्र 3,811 नमूनें ही जांचे गये हैं.

कब कितनी हुई जांच

राज्य में बुधवार तक मात्र 3470 नमूनों की जांच की गयी है. राज्य स्वास्थ विभाग द्वारा जारी बुलेटिन के अनुसार एक अप्रैल को 116 सैंपल की जांच की गयी थी. इसके बाद दो और तीन अप्रैल को विभाग की ओर से कोरोना बुलेटिन जारी नहीं की गयी. राज्य के मुख्य सचिव के कहने के बाद 4 अप्रैल को बुलेटिन जारी की गयी. तीन दिन में 926 नमूनों की जांच की गयी थी यानी एक दिन में औसत 309 नमूनों की जांच की गयी. चार अप्रैल तक 1042 नमूनें जांचे गये थे. पांच अप्रैल रविवार होने के कारण विभाग की ओर से बुलेटिन जारी नहीं किया गया था. छह अप्रैल तक 1301 सैंपल की जांच हुई थी. दो दिन में 259 नमूनों की जांच हुई. यानी एक दिन में औसत 130 नमूनें जांचे गये थे. सात अप्रैल को 186 नमूनों की जांच की गयी थी. आठ को 170 नमूनों की जांच हुई. नौ को 232 नमूनों की जांच हुई. इस दिन तक राज्य में कुल 1889 नमूनों की जांच हुई थी. 10 अप्रैल को 206 सैंपल जांचे गये थे. इस दिन तक राज्य में 2095 लोगों की जांच हुई थी. 11 अप्रैल को 191 नमूनों की जांच हुई. 12 अप्रैल 237 सैंपल , 13 तारीख 270 नमूनों की जांच की गयी थी. इसी तरह 14 अप्रैल 288 एवं 15 को 389 नमूनों की जांच हुई. वहीं बुधवार 15 अप्रैल 389 नमूनें एवं गुरुवार को 341 नमूनों की जांच की गयी है यानी गुरुवार तक 3,811 नमूनों की जांच हुई है. राज्य सरकार के अंकड़ों के अनुसार अब तक बुधवार को सबसे अधिक 389 नमूनों की जांच की गयी है. यानी बंगाल में काफी कम नमूनों की जांच हो रही है.

पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस संक्रमण का प्रसार समुदाय के स्तर पर हो रहा है या नहीं, यह जानने के लिए संदिग्ध मामलों का पता लगाने और उनकी जांच करने की प्रक्रिया में तेजी लानी होगी. अब वक्त आ गया है कि हम स्वास्थ्य विभाग द्वारा चिह्नित छोटे-छोटे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जांच करें. लोगों में लक्षण नहीं दिखने पर भी जांच की जानी चाहिए. मौजूदा हालात चिंताजनक हैं. इस स्थिति में घर-घर जाकर जांच करने की जरूरत है. इससे हमें संक्रमण के स्तर की स्पष्ट जानकारी मिल सकेगी. अगर हम अन्य राज्यों में की गयी जांच से तुलना करें, तो बंगाल के मुकाबले अन्य राज्यों में बहुत ज्यादा जांच हुई है. शुरुआती दिनों के मुकाबले अब संस्थान को सरकार की ओर से जांच के लिए कम नमूने मिल रहे हैं. पहले हमें प्रतिदिन करीब 90 नमूने मिल रहे थे. अब संख्या कम हो गयी है. 13 अप्रैल को हमें 60 नमूने मिले. जांच के लिए किट की कमी नहीं है. नाइसेड के पास 25,700 किट हैं.

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