कोलकाता. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने आशंका जाहिर की है कि राज्य में तृणमूल कांग्रेस, सत्ता की ताकत और पुलिस प्रशासन के सहारे निष्पक्ष मतदान को प्रभावित कर सकती है. पिछले विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा ने कई सीटें गंवायी हैं, जिससे पार्टी के विधायकों की संख्या 77 से घटकर 68 रह गयी है. अब अगर मदारीहाट सीट भी भाजपा के हाथ से निकल गयी, तो यह संख्या और घट जायेगी. मदारीहाट सीट भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने इस क्षेत्र में बढ़त बनाये रखी थी. भाजपा प्रत्याशी मनोज तिग्गा का दावा है कि अगर निष्पक्ष मतदान हुआ, तो हम पहले से भी बड़े अंतर से जीतेंगे. हालांकि, पार्टी के अंदर भी मनोज को लेकर कुछ विवाद हैं. माना जा रहा है कि उन्होंने पूर्व नेता जॉन बारला को दरकिनार कर अपनी स्थिति मजबूत की, जिससे भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं के साथ टिग्गा की दूरी बढ़ गयी. मदारीहाट के अलावा, बाकी पांच सीटों में भाजपा का प्रदर्शन हाल के लोकसभा चुनावों में कमजोर रहा था. फिर भी, बांकुड़ा जिले की तालडांगरा सीट से भाजपा को कुछ उम्मीदें हैं, क्योंकि यहां भाजपा का प्रभाव बना हुआ है. तालडांगरा में भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार को प्रचार के लिए उतारा है, जो पिछले लोकसभा चुनाव में यहां तृणमूल कांग्रेस से हार गये थे. साथ ही, बिष्णुपुर के सांसद सौमित्र खां और पूर्व सांसद लॉकेट चट्टोपाध्याय को भी इस क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गयी है. भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी, सुकांत मजूमदार और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने इन छह सीटों पर प्रचार किया. इस बार मिदनापुर सीट पर भी भाजपा का मुकाबला तृणमूल कांग्रेस से है. पिछले चुनाव में मिदनापुर विधानसभा में केवल 2,170 वोटों का अंतर था. इसके अलावा, कूचबिहार के सिताई में भाजपा पिछली बार 28 हजार वोटों से पीछे रही थी. उत्तर 24 परगना के नैहाटी और हड़ोआ में भी भाजपा पिछड़ी हुई थी, जहां तृणमूल ने भारी मतों से जीत हासिल की थी. भाजपा का मुख्य उद्देश्य इस चुनाव में तृणमूल के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में अपनी स्थिति बनाये रखना है.
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