कोलकाता. आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के सेमिनार हॉल में जहां जूनियर महिला डॉक्टर का शव मिला था, पुलिस ने वारदात की सुबह 10.30 बजे उस जगह की घेराबंदी कर दी थी. हाल ही में सोशल मीडिया पर घेराबंदी किये गये इलाके की कुछ तस्वीरें सामने आयीं, जिसे लेकर नयी बहस शुरू हो गयी है. शुक्रवार को कोलकाता पुलिस मुख्यालय लालबाजार में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोलकाता पुलिस की तरफ से डीसी (सेंट्रल विभाग) इंदिरा मुखर्जी ने कहा कि जिन लोगों को बाहरी और अनजान बताया जा रहा था, उनमें प्रत्येक व्यक्ति का नाम व पहचान बता दे रही हूं. सुश्री मुखर्जी ने शुक्रवार को दो तस्वीरें भी दिखायीं. उन्होंने उस तस्वीर में दिख रहे लोगों की पहचान भी स्पष्ट की. उन्होंने तस्वीर दिखाते हुए कहा कि उस इलाके में जो लोग थे, उनमें से ज्यादातर कोलकाता पुलिस के जवान थे. उस हिस्से में पुलिस कमिश्नर, खुफिया विभाग के वीडियोग्राफर, अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर (1), फॉरेंसिक विभाग के सदस्य, टाला पुलिस स्टेशन के पुरुष व महिला पुलिसकर्मी, लालबाजार के वूमेन ग्रेवांस सेल की महिला ओसी, वारदात स्थल में दो महिला जूनियर गवाह डॉक्टर व लालबाजार की साइंटिफिक विंग के फिंगरप्रिंट विशेषज्ञ मौजूद थे. तस्वीर में मौजूद लोगों की पहचान चेहरा दिखाकर बतायी गयी. इंदिरा मुखर्जी ने यह भी कहा कि नौ अगस्त की सुबह 10:30 बजे तक पुलिस ने घटनास्थल को घेरा था.
घेराबंदी वाली जगह पर बाहरी लोगों के होने की बात पूरी तरह अफवाह
इंदिरा ने पहले ही बताया था कि सेमिनार हॉल की लंबाई 51 फीट और चौड़ाई 32 फीट है. शव बरामद होने के बाद पुलिस ने घर के 40 फीट के हिस्से को घेर लिया था. उस क्षेत्र को अस्पताल की ओर से दिये गये सफेद कपड़े से ढक दिया गया था. जांच से जुड़े लोग ही 40 फीट के दायरे में थे. किसी भी तरह से बाहरी लोग उस हिस्से में प्रवेश नहीं कर सकते थे. इंदिरा का दावा है कि सबूत मिटाने की थ्योरी पूरी तरह से झूठी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है