कोलकाता. पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी ऑफ इंडिया (पीआरएसआइ), कोलकाता चैप्टर द्वारा जीवनशैली के प्रभाव पर ‘माइंडफुल मोजाइक’ विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया. इसमें अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने हेल्थ, हैपीनैस और वैलनेस पर अपने अनुभव साझा किये. कार्यक्रम का संयोजन, ‘रामेसिस आरपीएल परफेक्ट पॉज़’ की कार्यकारी निदेशक डॉ अरिजित बनर्जी ने किया. पैनलिस्ट में पीयरलैस होस्पिटल्स के क्लीनिकल निदेशक प्रो. डॉ शुभ्रोज्योति भौमिक, थिएटर आर्काइविस्ट, लेखक और गायक डॉ. देवजीत बंद्योपाध्याय, ओडिशी नृत्यांगना (पुरस्कार विजेता) गुरु संचिता भट्टाचार्य ने अपने अनुभव साझा किये.
इन वक्ताओं ने कहा कि स्वास्थ्य ही मनुष्य की सबसे बड़ी संपत्ति है. इसमें शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है. खुशनुमा जिंदगी के लिए अनुशासित जीवन जीना बहुत अहम है. टेक्नोलॉजी के इस दौर में लोगों की जीवन शैली बदलती जा रही है, जिसका असर स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. डॉ शुभ्रोज्योति भौमिक ने इस बात पर चर्चा की कि कैसे प्रौद्योगिकी और बदलती अपेक्षाओं ने पालन-पोषण को आकार दिया है. देर रात जगने वाले या मोबाइल देखने वाले लोगों का स्वास्थ्य भी बिगड़ रहा है, क्योंकि वे सुबह की ताजी हवा व शुद्ध ऑक्सीजन से वंचित हो रहे हैं. उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती है. हेल्थी व खुशनुमा जीवन के लिए अपनी आदतों में बदलाव करना होगा.
पीआरएसआइ, कोलकाता चैप्टर के अध्यक्ष सौम्यजीत महापात्रा ने कहा कि जीवन शैली का प्रभाव सेहत पर पड़ता है. संयमित खानपान, नियमित व्यायाम व मेडिटेशन से भी जीवन शैली को सुधारा जा सकता है. इससे पहले कि शरीर किसी बीमारी की चपेट में आ जाये, सही जीवन शैली को अपनाने की जरूरत है, यही खुशनुमा जीवन का रहस्य है. जीवनशैली के प्रभाव पर यहां सभी वक्ताओं ने सार्थक सुझाव के साथ अपने अनुभव साझा किये.
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