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बेलडांगा जाते समय सुकांत अरेस्ट

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को राज्य पुलिस ने बुधवार दोपहर नदिया जिले के कृष्णानगर इलाके में उस समय ‘एहतियातन गिरफ्तार’ कर लिया, जब वह मुर्शिदाबाद से सटे हिंसा प्रभावित बेलडांगा की स्थिति का जायजा लेने जा रहे थे. एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी. अधिकारी ने बताया कि यह कार्रवाई भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 170 के तहत की गयी. इस धारा के तहत गिरफ्तारी संभावित संज्ञेय अपराधों को रोकने के लिए की जाती हैं. बताया जाता है कि सुकांत समेत भाजपा के 48 नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार किया.

कल्याणी.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को राज्य पुलिस ने बुधवार दोपहर नदिया जिले के कृष्णानगर इलाके में उस समय ‘एहतियातन गिरफ्तार’ कर लिया, जब वह मुर्शिदाबाद से सटे हिंसा प्रभावित बेलडांगा की स्थिति का जायजा लेने जा रहे थे. एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी. अधिकारी ने बताया कि यह कार्रवाई भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 170 के तहत की गयी. इस धारा के तहत गिरफ्तारी संभावित संज्ञेय अपराधों को रोकने के लिए की जाती हैं. बताया जाता है कि सुकांत समेत भाजपा के 48 नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार किया.

कृष्णानगर पुलिस जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया : सुकांत मजूमदार की एहतियातन गिरफ्तारी बीएनएसएस की धारा 170 के तहत की गयी. वह उस स्थान की ओर जा रहे थे, जहां निषेधाज्ञा लागू थी.

कोतवाली थाना के अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किये जाने के तुरंत बाद मजूमदार ने कहा : मैं वहां की स्थिति का जायजा लेने के लिए बेलडांगा जाने की कोशिश कर रहा था. पुलिस द्वारा हमें बेलडांगा जाने से रोकने के विरोध में हमारे पार्टी कार्यकर्ताओं ने अन्य इलाकों में सड़क बाधित कर दिया.

इससे पहले, मजूमदार के काफिले को पुलिस ने मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा जाते वक्त रोक दिया था. बेलडांगा में दो समुदायों के बीच झड़प में करीब 17 लोग घायल हो गये हैं. पुलिस ने क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू होने का हवाला दिया और कहा कि भाजपा नेता के दौरे से शांति भंग हो सकती है.

कार्तिक पूजा के लिए बनाये गये अस्थायी गेट पर लगे बोर्ड पर आपत्तिजनक संदेश को लेकर शनिवार रात बेलडांगा में दो समुदायों के बीच झड़प हुई थी. पुलिस के एक बड़े दल ने नदिया जिले के कृष्णानगर में मजूमदार के काफिले को रोक दिया, जिसके बाद भाजपा सांसद ने धरना दिया.

मजूमदार ने संवाददाताओं से कहा : पुलिस कह रही है कि इलाके में निषेधाज्ञा लागू है इसलिए मैं वहां नहीं जा सकता. उन्होंने मुझे बेलडांगा से करीब 70 किलोमीटर पहले ही रोक लिया. हम वहां कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगाड़ने नहीं जा रहे हैं. हमने उनसे डीएम या एसपी कार्यालय तक ले जाने को कहा, लेकिन वे हमें जाने नहीं दे रहे हैं.

बेलडांगा में लागू है निषेधाज्ञा, प्रवेश की अनुमति नहीं : पुलिस

कृष्णानगर पुलिस जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार मजूमदार को एहतियात के तौर पर रोका गया, क्योंकि आशंका थी कि उनके दौरे से इलाके में शांति भंग हो सकती है. उन्होंने बताया : यह एक एहतियाती कदम था. हम किसी को भी बेलडांगा में प्रवेश की अनुमति नहीं दे सकते, क्योंकि वहां निषेधाज्ञा लागू है. बेलडांगा में दो समुदायों के बीच हुई झड़प में कम से कम 17 लोगों के घायल होने और संपत्तियों को नुकसान पहुंचने के बाद जिला प्रशासन ने इलाके में निषेधाज्ञा लागू करते हुए इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी. सुकांत ने आरोप लगाया कि उनके समेत भाजपा के 48 नेताओं को गिरफ्तार किया गया और जबरन बांड पर हस्ताक्षर कराये गये. बाद में, जब सभी को कृष्णानगर कोतवाली थाना पुलिस ने रिहा कर दिया गया. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि अगर ममता बनर्जी को नहीं हटाया गया, तो आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल में हर जगह हिंसा होगी. उन्होंने आरोप लगाया कि बंगाल में तृणमूल सरकार की वजह से बड़े स्तर पर घुसपैठ हो रही है. सुकांत मजूमदार ने कहा कि इलाके में धारा 144 हटने के बाद वह जल्द से जल्द बेलडांगा जाकर पीड़ितों से मिलेंगे.

बेलडांगा कांड में पुलिस की भूमिका पर हाइकोर्ट ने उठाया सवाल, राज्य व केंद्र सरकार से मांगा हलफनामा

बेलडांगा हिंसा को लेकर बुधवार को कलकत्ता हाइकोर्ट ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाया. अदालत ने मामले को लेकर शुक्रवार तक राज्य व केंद्र सरकार को नये सिरे से रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया. यह आदेश हाइकोर्ट के न्यायाधीश हरीश टंडन व न्यायाधीश हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने दिया. मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में दो गुटों में संघर्ष के बाद वहां धारा 163 जारी की गयी थी. मामले में अब तक 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें आठ आरोपियों को अदालत में पेश करने पर उन्हें 29 नवंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. भाजपा नेता कौस्तुभ बागची ने इस मामले को लेकर हाइकोर्ट में पीआइएल दायर की थी. सुनवाई के दौरान अदालत ने सवाल उठाया कि घटना के बाद पुलिस परिस्थिति के मुकाबले के लिए क्यों तत्पर नहीं हुई. हालांकि राज्य की ओर से बताया गया कि सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ वीडियो वायरल हुआ था. आरोपियों की पहचान कर तुरंत कदम उठाया गया था. मामलाकारी की ओर से केंद्रीय वाहिनी वहां तैनात करने का आवेदन किया गया था. राज्य सरकार उक्त अर्जी को खारिज कर दी. राज्य का कहना है कि वहां कानून-व्यवस्था पूरी तरह से नियंत्रण में है. केंद्रीय वाहिनी तैनात करने की कोई जरूरत नहीं है. यह सुनने के बाद खंडपीठ ने राज्य व केंद्र सरकार से रिपोर्ट पेश करने को कहा. सोमवार को मामले पर फिर सुनवाई होगी.

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