अनशन खत्म करने पर ही कल नबान्न में होगी बैठक
अनशनकारियों समेत प्रदर्शनकारियों ने मुख्य सचिव के फोन से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात की.
कोलकाता. शनिवार दोपहर करीब दो बजे राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत, गृह सचिव नंदिनी चक्रवर्ती और कोलकाता पुलिस डीसी (सेंट्रल) इंदिरा मुखर्जी धर्मतला में जूनियर डॉक्टरों के अनशन मंच पर गये. अनशनकारियों समेत प्रदर्शनकारियों ने मुख्य सचिव के फोन से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात की. उधर, इस मुलाकात के बाद राज्य के मुख्य सचिव डॉ मनोज पंत ने जूनियर डॉक्टरों को ईमेल कर सोमवार शाम पांच बजे बैठक के लिए उन्हें राज्य सचिवालय नबान्न में आमंत्रित किया. इस संबंध में मुख्य सचिव की ओर से रात 7.28 बजे जूनियर डॉक्टरों के संगठन वेस्ट बंगाल जूनियर डॉक्टर फ्रंट को ईमेल कर बैठक के लिए आमंत्रित किया गया है. बैठक के लिए जूनियर डॉक्टरों के 10 प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है. पत्र में लिखा गया है कि यदि आप अपनी मांगों पर आगे चर्चा करना चाहते हैं, तो भूख हड़ताल वापस लेने के बाद ही सोमवार 21 अक्तूबर को शाम पांच बजे बैठक होगी. सीएम के साथ बैठक के लिए जूनियर डॉक्टरों के 10 प्रतिनिधियों को ही बुलाया गया है. ईमेल में लिखा गया है कि मुख्यमंत्री की अन्य व्यस्तताओं को देखते हुए यह बैठक केवल 45 मिनट के लिए निर्धारित की गयी है. ऐसे में आप जूनियर डॉक्टरों से अनुरोध है कि आप शाम 4.30 बजे तक नबान्न सभागार पहुंच जायें और अपने 10 प्रतिनिधियों के नाम ईमेल द्वारा भेज दें. वहीं, शनिवार को सीएम के साथ जूनियर चिकित्सकों की जिन 10 मांगों पर चर्चा हुई है, उसका भी उल्लेख आमंत्रण पत्र में किया गया है. मुख्य सचिव ने लिखा कि फोन पर सीएम से बातचीत के दौरान सामने आये इन बिंदुओं पर आपका ध्यान आकर्षित किया जाता है. ज्ञात हो कि पिछले 15 दिनों से जूनियर डॉक्टरों के आठ प्रतिनिधि भूख हड़ताल पर हैं. कोलकाता के अनशन मंच पर सात और उत्त बंगाल में एक चिकित्सक आमरण अनशन पर हैं.
10 सूत्री मांग जिन पर मुख्यमंत्रीे ममता बनर्जी से हुई चर्चा
1. सीएम ने उम्मीद जतायी है कि मामले में जारी जांच बिना किसी देरी के पूरी होगी, जिससे ”अभया”, उसके परिजन और सहयोगियों के लिए न्याय सुनिश्चित होगा2. मुख्यमंत्री ने बताया कि सीसीटीवी लगाने, ड्यूटी रूम व रेस्ट रूम के निर्माण और नवीनीकरण, प्रकाश और पेयजल सहित अन्य बुनियादी ढांचे के विकास के संबंध में आपकी कई मांगें पहले ही मान ली गयी हैं
3. सेंट्रल रेफरल सिस्टम को 15 अक्तूबर से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पहले ही शुरू किया जा चुका है. आप अपने सुझाव में बता सकते हैं, ताकि उन पर विचार और उन्हें शामिल किया जा सके4. डिजिटल बेड रिक्ति निगरानी प्रणाली भी पायलट प्रोजेक्ट फेज में है और आपके सुझाव, यदि कोई हों, तो दे सकते हैंं
5. स्थायी पुरुष और महिला पुलिसकर्मियों की अस्पतालों में तैनाती की मांग के संबंध में बताया जाता है कि बड़ी संख्या में स्थायी पदों पर पुलिसकर्मियों की नियुक्ति एक लंबी प्रक्रिया है, जो ओबीसी आरक्षण मामले के न्यायालयों में विचाराधीन होने के कारण और विलंबित है6. राज्य के स्वास्थ्य सचिव को हटाने की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है 7. यह बताया गया कि राज्य सरकार नर्स, डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के रिक्त पदों को यथाशीघ्र भरने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसे उचित मानदंडों का पालन करते हुए पूरा किया जायेगा. पर ओबीसी आरक्षण मामला कोर्ट में लंबित होने के कारण अभी यह संभव नहीं हो पा रहा है
8. स्वास्थ्य कर्मियों की शिकायतों को दूर करने के लिए राज्यस्तरीय शिकायत निवारण समिति पहले ही गठित की जा चुकी है, जो सक्षम प्राधिकारी के समक्ष जांच करेगी और उचित कार्रवाई के लिए सिफारिशें करेगी9. राज्य के आइपीएस (सेवानिवृत्त) पूर्व डीजीपी सुरजीत कर पुरकायस्थ की अध्यक्षता में यहां के सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों की सुरक्षा ऑडिट के लिए समिति गठित की गयी है. जिलास्तरीय कमेटियां भी गठित की गयी हैं, जो राज्यस्तरीय समिति की देखरेख में काम करेंगी.
10. छात्र संघ के चुनाव के संबंध में मुख्यमंत्री ने बताया है कि आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए अगले साल मार्च तक सभी मेडिकल कॉलेजों और अन्य संस्थानों में चुनाव कराये जा सकते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है