तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस (Governor CV Anand Bose) पर लगे छेड़खानी के आरोपों को लेकर उनके इस्तीफे की मांग करते हुए राज भवन के समीप शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया. हाथों में तख्तियां लिये और नारेबाजी करते हुए प्रदर्शनकारियों ने राज्यपाल आवास की ओर बढ़ने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया. प्रदर्शनकारियों में टीएमसी से संबद्ध पश्चिम बंगाल कॉलेज और विश्वविद्यालय प्रोफेसर संघ (डब्ल्यूबीसीयूपीए) के सदस्य भी शामिल थे.
राज्यपाल सी वी आनंद बोस का पद पर बने रहना शर्मनाक
इस मौके पर डब्ल्यूबीसीयूपीए के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘राज्यपाल सी वी आनंद बोस का पद पर बने रहना शर्मनाक है, वह भी तब, जब राजभवन की एक महिला कर्मी सहित एक से ज्यादा महिलाएं उनके खिलाफ गंभीर आरोप लगा चुकी हैं. ‘राजभवन में संविदा पर काम करने वाली एक महिला ने राज्यपाल पर उसके साथ छेड़खानी करने को लेकर पिछले सप्ताह पुलिस में शिकायत दर्ज करायी थी.
पुलिस ने भी राज्य सचिवालय को सौंपी थी रिपोर्ट
पुलिस ने एक शास्त्रीय नर्तकी द्वारा दर्ज कराईयी गयी शिकायत को लेकर इस सप्ताह की शुरुआत में राज्य सचिवालय को रिपोर्ट सौंपी थी. शिकायत में महिला ने बोस पर 2023 में नयी दिल्ली के एक होटल में उसका यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है. प्रदर्शन में शामिल होने वाली पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष और फिल्मकार सुदेशना रॉय ने कहा, ‘मैं यहां महिलाओं के साथ एकजुटता दिखाने के लिए आई हूं. वह किसी भी जांच की इजाजत नहीं दे रहे हैं, क्योंकि वह संवैधानिक पद पर हैं. लेकिन इस तरह का पद एक व्यक्ति के रूप में उन्हें आरोपों की जांच से छूट की गारंटी नहीं देता है.
राज्यपाल ने सारे आरोपों को नकारते हूए कहा कि ये आरोप राजनीति से प्रेरित
गौरतलब है कि संविधान का अनुच्छेद 361 (2) राष्ट्रपति और राज्यपाल के खिलाफ आपराधिक मुकदमा शुरू करने की इजाजत नहीं देता. राज्यपाल ने आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि ये आरोप राजनीति से प्रेरित हैं, क्योंकि वह बंगाल के लोगों की शिकायतें मुखरता से उठा रहे थे और लोगों से जाकर खुलकर मिलते थे, इसी के कारण उनके खिलाफ यह साजिश रची जा रही है.