कोलकाता. आरजी कर कांड के विरोध में मंगलवार को महानगर में जुलूस निकालने के लिए हाइकोर्ट ने अनुमति दे दी. कई संगठनों ने जुलूस निकालने का आह्वान किया है. पुलिस से अनुमति नहीं मिलने पर संगठन के लोग हाइकोर्ट पहुंचे थे. अदालत ने कहा कि मंगलवार की शाम पांच बजे से रात आठ बजे तक कार्यक्रम किया जा सकता है. सुनवाई के दौरान अदालत ने सवाल उठाया कि पूजा की भीड़ पुलिस कैसे नियंत्रित करती है. मंगलवार को 40 से अधिक संगठनों के सदस्य आरजी कर कांड के विरोध में सड़कों पर उतरेंगे. कॉलेज स्क्वायर से रवींद्र सदन तक जुलूस का आयोजन किया जायेगा. आयोजकों में जूनियर डॉक्टरों के भी कई संगठन शामिल हैं. इसके अलावा यौनकर्मी, थर्ड जेंडर, रिक्शा चालक से लेकर स्वास्थ्यकर्मी, मोहन बागान व ईस्ट बंगाल के समर्थक भी जुलूस में शामिल होंगे. हाइकोर्ट के न्यायाधीश राजर्षि भारद्वाज की अदालत में मामले की सुनवाई हुई. राज्य सरकार की ओर से अदालत को कहा गया कि जुलूस में शामिल होनेवाले लोगों की संख्या निर्धारित होने से ट्रैफिक की समस्या नहीं होगी. इस पर मामलाकारी के वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि संगठन के कितने लोग रहेंगे, यह तो बताया जा सकता है, लेकिन यदि आम जनता भी शामिल हो जाये तो फिर कैसे संख्या का अनुमान लगाया जा सकता है. इस पर न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि जुलूस में 10 लाख लोग शांतिपूर्ण तरीके से शामिल हो जाते हैं तो क्या उन्हें रोकना संभव है. विरोध जताना उनका संवैधानिक अधिकार है. ट्रैफिक को सामने रख कर किसी को उनके अधिकार से वंचित नहीं रखा जा सकता है. इसके बाद धारा 163 (पूर्व में धारा 144) का प्रसंग भी उठा. धर्मतला में धारा 163 जारी करने को लेकर न्यायाधीश भारद्वाज ने कहा कि पूरे महानगर में ही धारा 163 जारी कर दें, इससे कहीं भी रैली या सभा नहीं होगी. न्यायाधीश ने कहा कि जो लोग दुर्गापूजा का आयोजन करते हैं, उन्हें पता होता है कि कितने लोग दर्शन के लिए आयेंगे. पूजा के दौरान तो लाखों लोग सड़क पर होते हैं. पुलिस दक्षता के साथ इसे नियंत्रित करती है. मंगलवार को निकलने वाले जुलूस के दौरान पर्याप्त संख्या में वॉलंटियर मौजूद रखने का अदालत ने निर्देश दिया.
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