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तृणमूल की बैठक में प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा

तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के एक समूह ने, जिसमें मंत्री और सांसद तथा कई निजी संगठनों के सदस्य शामिल थे, प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक पर अपने रुख पर चर्चा करने के लिए यहां बैठक की. देश भर में वक्फ संपत्तियों के अधिकारों पर काम करने वाले एक निजी संगठन अखिल भारतीय मिल्ली काउंसिल द्वारा औपचारिक रूप से आयोजित बैठक में सत्तारूढ़ पार्टी के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ने वक्फ विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों के खिलाफ संबंधित अधिकारियों को अपनी आधिकारिक आपत्तियां पहले ही प्रस्तुत कर दी हैं, जिसे वे देश में अल्पसंख्यक समुदाय के हितों और उसके अधिकारों के खिलाफ मानते हैं.

कोलकाता.

तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के एक समूह ने, जिसमें मंत्री और सांसद तथा कई निजी संगठनों के सदस्य शामिल थे, प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक पर अपने रुख पर चर्चा करने के लिए यहां बैठक की.

देश भर में वक्फ संपत्तियों के अधिकारों पर काम करने वाले एक निजी संगठन अखिल भारतीय मिल्ली काउंसिल द्वारा औपचारिक रूप से आयोजित बैठक में सत्तारूढ़ पार्टी के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ने वक्फ विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों के खिलाफ संबंधित अधिकारियों को अपनी आधिकारिक आपत्तियां पहले ही प्रस्तुत कर दी हैं, जिसे वे देश में अल्पसंख्यक समुदाय के हितों और उसके अधिकारों के खिलाफ मानते हैं.

पर्यावरण, गैर-पारंपरिक और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री माेहम्मद गुलाम रब्बानी ने कहा, “ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देशों के बाद मुख्य सचिव ने पहले ही भाजपा सरकार द्वारा वक्फ कानूनों में प्रस्तावित संशोधनों पर आपत्तियां भेज दी हैं. हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विभाजनकारी कार्ड खेलने के बाद भाजपा अब उस विशेष विधेयक को पारित करके विभिन्न मुस्लिम उपजातियों के बीच विभाजन पैदा करने का प्रयास कर रही है.”

तृणमूल के राज्यसभा सांसद, वक्फ बोर्ड और जेपीसी के सदस्य नदीमुल हक, जन शिक्षा और पुस्तकालय मंत्री सिद्दीकुल्लाह चौधरी और आपदा प्रबंधन मंत्री जावेद खान भी बैठक में सत्तारूढ़ पार्टी के प्रतिनिधियों में शामिल थे. बंगाल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष न्यायमूर्ति सईदुल्लाह मुंशी और इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी एहसान अली भी विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ शामिल हुए.

केंद्र ने मौजूदा वक्फ अधिनियम में संशोधन का रखा है प्रस्ताव

गौरतलब है कि इस साल अगस्त में केंद्र सरकार ने मौजूदा वक्फ अधिनियम (1995) में संशोधन का प्रस्ताव रखा. केंद्र के इस दावे के बावजूद कि एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 2024 नामक संशोधन का उद्देश्य वक्फ संपत्ति प्रबंधन में मुद्दों को हल करना है, विपक्ष ने तर्क दिया कि यह मुस्लिम धार्मिक अधिकारों को कमजोर करता है क्योंकि यह नौकरशाहों को सत्ता सौंपने का प्रस्ताव करता है. बढ़ती असहमति के कारण केंद्र ने विधेयक को समीक्षा के लिए जेपीसी को भेज दिया. 12 नवंबर को अपने निर्धारित दौरे के दौरान जेपीसी सदस्यों से वक्फ से संबंधित गतिविधियों में शामिल कई संगठनों और वक्फ संपत्तियों के लाभार्थियों से परामर्श करने की उम्मीद है. वक्फ संपत्तियां इस्लामी कानून के तहत धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए नामित इमारतें या भूखंड हैं. मंत्री गुलाम रब्बानी ने कहा कि अगर जेपीसी हमें सीधे अपनी राय प्रस्तुत करने की अनुमति देती है, तो हम अपना रुख स्पष्ट करेंगे. अन्यथा हम जेपीसी को बिल के बारे में अपने सवाल, मांगें और चिंताएं ईमेल करेंगे. हमने बैठक में चर्चा किये गये सभी प्रासंगिक बिंदुओं को दस्तावेज में दर्ज किया है.

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