पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने में महज 10 महीनों से कम का समय बचा है. ऐसे समय में पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच विभिन्न मुद्दों को लेकर बढ़ रहे असंतोष ने तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है. 2021 में होने जा रहे विधानसभा चुनावों से पहले ममता बनर्जी नीत तृणमूल कांग्रेस (तृणमूल कांग्रेस) में अंदरूनी कलह और असंतोष बढ़ता हुआ दिख रहा है. चक्रवाती तुफान अम्फन के बाद पुनर्वास कार्यों और कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से निपटने के राज्य सरकार के तरीके से टीएमसी के कई बड़े नेता असंतुष्ट हैं और सरेआम सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं. पश्चिम बंगाल की सियासत में एक ऐसा दौर चल रहा है जब भाजपा प्रदेश में टीएमसी के खिलाफ सबसे मजबूत स्थिति में उभर रही है.
पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के परिणामों में राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन का संकेत मिला था. इन हालातों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि तृणमूल कांग्रेस के लिए इस बार बहुत कुछ दांव पर है. जबकि चुनावों से पहले पार्टी में सबकुछ ठीक करने के लिए ममता बनर्जी के लिए यह कुछ महीनों का ही समय बचा है. 2019 के संसदीय चुनाव में पार्टी के कई विधायकों व सासंदों का दल बदलना तृणमूल कांग्रेस के लिए बहुत महंगा पड़ा था. भाजपा ने आम चुनाव में बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 18 पर जीत हासिल की थी, जो तृणमूल कांग्रेस को मिली 22 सीटों से महज चार कम थी. सूत्रों के मुताबिक, सधन पांडे, सुब्रत मुखर्जी और पार्टी की सांसद महुआ मोइत्रा जैसे वरिष्ठ नेताओं का हाल में दिखे आक्रोश ने राज्य के सियासी खेमे में बहस छेड़ दी है.
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तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि सार्वजनिक तौर पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का यह गुस्सा पार्टी के लिए चिंता का विषय है. हालांकि पार्टी ने उनसे अपने विचार जनता के समक्ष नहीं रखने को कहा था तो इसके बावजूद वे जनता के बीच गये. इससे तो यही पता चलता है कि क्या वे कोई संदेश देना चाहते हैं, इसे देखने की जरूरत है. भले ही पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने हाल में पार्टी की एक डिजिटल बैठक में किसी का नाम लिये बिना असंतुष्ट नेताओं से पार्टी को भीतर से कमजोर करने के बजाय इसे छोड़ कर जाने को कहा था, लेकिन चीजें फिर भी ठीक होती नहीं लग रही हैं.
जहां चक्रवात के बाद के पुर्नवास के कार्यों में पार्टी नीत कोलकाता नगर निगम की भूमिका पर सरेआम सवाल उठाया गया था, वहीं बंगाल के वरिष्ठतम नेताओं में से एक ने चक्रवात से बुरी तरह प्रभावित उत्तर और दक्षिण 24 परगना में राज्य के मंत्रियों समेत तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की गैरमौजूदगी पर सवाल उठाये. तृणमूल कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता व लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने अपने निर्वाचन क्षेत्र, कृष्णानगर में खर्च नहीं की गयी निधि और गैर नियोजित कार्यों को लेकर पार्टी संचालित ग्राम पंचायतों पर हमला बोला था और लोगों से स्थानीय नेताओं के भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा होने की अपील की थी.