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जंगल में ‘जीनत’ की चहलकदमी से ग्रामीण ही नहीं, वनकर्मी भी परेशान

मानव बस्तियों में घुसने से रोकने के लिए नायलॉन का लगाया गया जाल

मानव बस्तियों में घुसने से रोकने के लिए नायलॉन का लगाया गया जाल कोलकाता. पश्चिम बंगाल वन विभाग ने बाघिन ‘जीनत’ को निकटवर्ती मानव बस्तियों में घुसने से रोकने के लिए पुरुलिया जिले के बांदवान वन क्षेत्र के किनारे एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में नायलॉन का जाल लगाया है. वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को बताया कि दो सप्ताह पहले ओडिशा के सिमलिपाल आरक्षित वन क्षेत्र (एसटीआर) से भटक कर पहुंची बाघिन इस समय पुरुलिया जिले में है और उसे पकड़ने के प्रयास जारी हैं. मुख्य वन संरक्षक एस कुलंदैवेल ने कहा कि बाघिन आखिरी बार बांदवान वन क्षेत्र में एक पहाड़ी के पास कंटीली झाड़ियों में देखी गयी थी. उन्होंने कहा कि बाघिन को निकटवर्ती मानव बस्तियों में जाने से रोकने के लिए एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में नायलॉन का जाल लगा दिया गया है और स्थानीय ग्रामीणों को उसकी मौजूदगी के बारे में सूचित कर दिया है. उन्होंने कहा कि रेडियो कॉलर की मदद से उसकी गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा रही है. उन्होंने कहा कि कुछ स्थानों पर तीन ‘ट्रैंक्विलाइजिंग’ दलों को तैनात किया गया है. कुलंदैवेल ने बताया कि जाल लगाने का काम सुंदरबन बाघ अभयारण्य के कर्मियों द्वारा किया गया है, जिन्हें इस मामले में विशेषज्ञता हासिल है. उन्होंने कहा कि ओडिशा वन विभाग के कर्मी भी जीनत की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं.’’ मुख्य वन्यजीव वार्डन देबल रॉय ने कहा कि उसकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर स्मार्ट कैमरे लगाये जा रहे हैं. गौरतलब है कि ‘जीनत’ छह दिन पहले झारखंड से पश्चिम बंगाल पहुंची थी और तीन दिन तक झाड़ग्राम तथा पश्चिमी मेदिनीपुर जिलों में घूमने के बाद वह पुरुलिया पहुंची. अभी तक उसने सिमलिपाल में अपने मूल प्रवास स्थान पर वापस लौटने का कोई संकेत नहीं दिया है.

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