किसान के बेटे बिल्टू माजी ने नहीं मानी हार
यदि दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो इंसान कुछ भी फतह कर सकता है. बाधा के बावजूद किसान के बेटे बिल्टू माजी ने प्रतिष्ठत परीक्षा में सफलता प्राप्त की है.
बर्दवान/पानागढ़. यदि दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो इंसान कुछ भी फतह कर सकता है. बाधा के बावजूद किसान के बेटे बिल्टू माजी ने प्रतिष्ठत परीक्षा में सफलता प्राप्त की है. पूर्व बर्दवान जिले के आउसग्राम के पांडुक गांव के बिल्टू माजी ने साबित कर दिया है कि ये सिर्फ बातें ही नहीं हैं. बिल्टू माजी डब्ल्यूबीसीएस परीक्षा में बैठने के बाद महज तीन अंकों के लिए प्रारंभिक स्तर की परीक्षा उत्तीर्ण करने में असफल रहे, तो उन्होंने सीधे यूपीएससी परीक्षा में बैठने का फैसला किया. दो बार वह कम अंकों के कारण असफल रहे.
लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. बिल्टू ने तीसरे प्रयास में अखिल भारतीय सांख्यिकी परीक्षा उत्तीर्ण की. वह न सिर्फ पास हुए, बल्कि मेरिट लिस्ट में देश भर में दूसरा स्थान भी हासिल किया. बिल्टू की इस सफलता पर स्थानीय लोगों और परिवार में खुशी का माहौल है. किसान जयदेव माजी और सुमित्रा देवी के बेटे बिल्टू की शिक्षा गांव के ही प्राइमरी स्कूल से शुरू हुई. उसके बाद उन्होंने पांडुक के पीपीडी हाइस्कूल से पढ़ाई की और 2015 में माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण की. बिल्टू ने 11वीं कक्षा में पढ़ने के लिए विश्वभारती में प्रवेश लिया. वहां से उसने सांख्यिकी में ऑनर्स के साथ बीएससी पास की. बिल्टू ने कहा कि वह एमएससी करना चाहते थे, लेकिन पारिवारिक स्थिति के कारण उसे नौकरी की तलाश करनी पड़ी, क्योंकि परिवार सिर्फ एक-दो बीघे जमीन की आमदनी पर निर्भर था. बहन की शादी के लिए पिता को कर्ज लेना पड़ा. उस ऋण का ब्याज चुकाने के बाद परिवार चलाने में कोई स्थिरता नहीं रह गयी थी. बिल्टू के अनुसार, 2020 में बीएससी पास करने के बाद, उन्होंने ग्रामीण डाकघर में शाखा पोस्ट मास्टर के रूप में काम शुरू किया. वर्तमान में वह बीरभूम जिले के रूपपुर गांव के डाकघर में कार्यरत हैं. हालांकि नौकरी के बावजूद उसने अन्य प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी भी जारी रखी.
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