देवानंदपुर: 518 वर्षों से लग रहा है अनूठा मछली मेला

रघुनाथ दास यह बात समझ गये कि उनकी परीक्षा ली जा रही है. उन्होंने तालाब से हिलसा मछली और ठंड के मौसम में अपने बगीचे से आम जुगाड़ कर मंदिर संलग्न मैदान में अतिथियों को खिलाने की व्यवस्था की.

By Prabhat Khabar News Desk | January 16, 2025 1:50 AM
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मुरली चौधरी, हुगली

ठंड के मौसम में कई तरह के मेले आयोजित होते हैं, लेकिन एक अनूठा मेला हुगली जिले की देवानंदपुर ग्राम पंचायत के कृष्णापुर बाजार में लगता है. यह मेला साल में केवल एक ही दिन लगता है. मकर संक्रांति के बाद वाले दिन यानी माघ की प्रथम तिथि को यहां मछली मेला लगता है. इस बार मेले में हुगली जिला परिषद के मत्स्य और प्राणी संपद विभाग के कर्माध्यक्ष निर्माल्य चक्रवर्ती सहित कई अन्य नेता भी उपस्थित रहे. यह सिर्फ मेला ही नहीं, बल्कि वैष्णव संप्रदाय के लोगों का मिलन क्षेत्र भी है. पर आश्चर्य की बात यह है कि वैष्णव संप्रदाय के लोगों के मिलन क्षेत्र में ही मछली मेला लगता है. इसके पीछे एक इतिहास है, जो 518 साल पुराना है. मंदिर के पुरोहित मनोज चक्रवर्ती और संपद के कर्माध्यक्ष निर्माल्य चक्रवर्ती ने बताया कि पूर्व सप्तग्राम और मौजूदा आदि सप्तग्राम इलाके में जमीदार परिवार के संतान रघुनाथ दास गोस्वामी महाप्रभु कृष्ण के अंधभक्त थे. उन्होंने अपने रियासत क्षेत्र में एक कृष्ण मूर्ति की स्थापना की. कृष्ण की सेवा में उनका नाम अंग, बंग, कलिंग सहित पूरे भारतवर्ष में फैल गया. उनके हजारों अनुयायी बन गये, लेकिन कुछ लोग उनकी धर्म की परीक्षा भी लेने लगे.

वे कृष्णापुर पहुंच गये और हिलसा मछली और दाल-भात और सब्जी के अलावा आम की चटनी भी मांगी. रघुनाथ दास यह बात समझ गये कि उनकी परीक्षा ली जा रही है. उन्होंने तालाब से हिलसा मछली और ठंड के मौसम में अपने बगीचे से आम जुगाड़ कर मंदिर संलग्न मैदान में अतिथियों को खिलाने की व्यवस्था की. उस दिन माघ की पहली तिथि थी. तभी से यहां के लोग माघ की प्रथम तिथि को मछली अवश्य खाते हैं और मछलियों का मेला भी लगाते हैं. इस मेले में मोरला, भेटकी, रूप चांदा, भोला, हिलसा, मांगुर, केवई, शंकर, तोपसे, कांचकी, पावदा, गरई, सोल, बोआल, काजरी, आईला, बान जैसी तरह-तरह की मछलियां मिलती हैं. इन्हें लोग खरीद कर अपने घर भी ले जा सकते हैं या वहीं पर इन्हें तल कर खाते भी हैं.

इस दिन यहां पिकनिक मनाने वालों की भी भीड़ उमड़ती है. बंडेल और आदि सप्तग्राम स्टेशन से लोग ऑटो और टोटो के जरिये कृष्णापुर बाजार पहुंचते हैं. हजारों हजारों लोगों की भीड़ इस मेला को अलग बनाता है. निर्माल्य चक्रवर्ती ने बताया कि पूरे मेले में लगभग 250 क्विंटल से ज्यादा मछलियां बिकीं.

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