अपराधियों को दंडित करने के लिए निवारक व्यवस्था बनाने का आह्वान कोलकाता/नयी दिल्ली. आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में एक जूनियर महिला चिकित्सक से बलात्कार और हत्या की वारदात को ‘दर्दनाक’ करार देते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने ऐसे अपराधों के लिए अपराधियों को दंडित करने के वास्ते एक निवारक व्यवस्था बनाने का शुक्रवार को आह्वान किया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के विशेष लेख का जिक्र करते हुए श्री धनखड़ ने उनकी राय दोहरायी कि “बस! बहुत हो चुका.” ‘‘महिलाओं की सुरक्षा : बस! बहुत हो चुका!’’ शीर्षक वाला यह लेख आरजी कर अस्पताल में नौ अगस्त को हुई दर्दनाक घटना पर राष्ट्रपति की पहली प्रतिक्रिया थी. धनखड़ ने दिल्ली विश्वविद्यालय के भारती कॉलेज में एक कार्यक्रम के दौरान छात्रों को संबोधित किया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के इस कथित प्रस्ताव पर अध्यक्ष कपिल सिब्बल की भी आलोचना की कि दुखद घटना एक ‘लक्षणात्मक अस्वस्थता’ थी और इससे पता चल रहा था कि ऐसी घटनाएं आम बात हैं. उपराष्ट्रपति ने कहा : मैं स्तब्ध हूं; मुझे दुख है और कुछ हद तक आश्चर्य भी कि उच्चतम न्यायालय बार में पद पर आसीन एक सांसद ने इस तरह से काम किया और क्या कहा? एक लक्षणात्मक अस्वस्थता और यह भी कहा कि ऐसी घटनाएं आम बात हैं? कितनी शर्म की बात है! इस तरह के रुख की निंदा करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं. यह उच्च पद के साथ सबसे बड़ा अन्याय है. धनखड़ ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा को ‘लक्षणात्मक अस्वस्थता’ कहे जाने की निंदा की और इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के बयान लड़कियों की पीड़ा को महत्वहीन करने के समान हैं. उन्होंने कहा : पक्षपातपूर्ण हित के लिए? निजी हित के लिए? आप अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए हमारी लड़कियों और महिलाओं पर इस तरह का जघन्य अन्याय करते हैं? मानवता के साथ इससे बड़ा अन्याय और क्या हो सकता है? क्या हम अपनी लड़कियों की पीड़ा को कम आंकते हैं? नहीं, अब और नहीं. राष्ट्रपति मुर्मू के बयानों के संबंध में श्री धनखड़ ने कहा : राष्ट्रपति मुर्मू खुद एक आदिवासी महिला हैं. उन्होंने जमीनी हकीकत देखी है. उन्होंने एक मीडिया नोट में सही कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में अब बस बहुत हो चुका. मैं चाहता हूं कि यह आह्वान राष्ट्रीय आह्वान बने. मैं चाहता हूं कि हर कोई इस आह्वान में भागीदार बने. निर्भया कांड का भी किया जिक्र उन्होंने कहा : भारत भूमि पर बालिकाएं और महिलाएं असुरक्षित कैसे रह सकती हैं? उनकी गरिमा को ठेस कैसे पहुंचायी जा सकती है. दिल्ली में 2012 में हुए निर्भया कांड का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस तरह की घटनाओं का बार-बार होना दोषियों को सजा देने और उनके मन में डर पैदा करने के लिए एक मजबूत निवारक व्यवस्था बनाने की मांग करता है. श्री धनखड़ ने महिलाओं के लिए वित्तीय आजादी की जरूरत पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा : मैं आप सभी का आह्वान करता हूं कि वित्तीय रूप से स्वतंत्र बनें. उन्होंने कहा : राष्ट्र के विकास में लड़कियां सबसे महत्वपूर्ण हितधारक हैं. वे ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि आधारित अर्थव्यवस्था और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं. भारत की मौजूदा विकास यात्रा का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश की आबादी में आधी हिस्सेदारी रखने वालीं महिलाओं की पूर्ण भागीदारी के बिना यह प्रगति नहीं की जा सकती. उपराष्ट्रपति ने कहा : भारत की विकसित राष्ट्र की सोच बालिकाओं और महिलाओं की भागीदारी के बिना तर्कसंगत नहीं है. उनके अंदर ऊर्जा है, प्रतिभा है. आपकी भागीदारी से विकसित भारत का सपना 2047 से पहले पूरा हो जायेगा. उन्होंने भारत के खिलाफ ‘राष्ट्र-विरोधी’ बयानों की भी आलोचना की और इसे देश के विकास की राह में सबसे बड़ी चुनौती बताया. श्री धनखड़ ने छात्रों से राष्ट्र के हित को राजनीतिक और वैचारिक मतभेदों से ऊपर रखने का आग्रह किया.
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