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West Bengal : सुप्रीम कोर्ट में 26 हजार नौकरियों का फैसला 10 सितंबर को

West Bengal : देश की सर्वोच्च अदालत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, नौकरी रद्द नहीं की जा रही है. अगर पात्र और अपात्र को अलग करना संभव है तो पूरे पैनल को रद्द करना सही नहीं होगा.

West Bengal : राज्य के माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूलों में एसएससी के माध्यम से हुई लगभग 26 हजार नियुक्तियोंं को कलकत्ता हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. राज्य सरकार व नाैकरी गंवाने वाले अभ्यर्थियों ने हाइकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर 10 सितंबर अर्थात मंगलवार को सुनवाई होगी.

राज्य सरकार ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौती

बताया गया है कि इस साल अप्रैल में स्कूल सेवा आयोग या एसएससी के माध्यम से सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं के शिक्षकों और ग्रुप-सी व ग्रुप-डी पदों की नियुक्ति में भ्रष्टाचार से संबंधित एक मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति देवांशु बसाक और जस्टिस सब्बर रशीदी की खंडपीठ ने 26 हजार लोगों की सेवा छीन ली थी. राज्य सरकार ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और देश की सर्वोच्च अदालत ने उस मामले में हाइकोर्ट के फैसले पर अस्थायी रोक लगायी है.

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सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को है मामले की सुनवाई

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 10 सितंबर को सुनवाई हो सकती है. गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई 16 जुलाई और 6 अगस्त को होनी थी, लेकिन अंततः इसे स्थगित कर दिया गया था. मामले की अगली सुनवाई की तारीख 10 सितंबर है. बताया गया है कि कलकत्ता हाइकोर्ट के एकल और खंडपीठ दोनों ने ही 2016 में एसएससी के माध्यम से हुई नियुक्तियों के पूरे पैनल को रद्द करने का आदेश दिया था, इस निर्देश के कारण 25,753 शिक्षक व शिक्षाकर्मियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा था.

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पात्र और अपात्र को अलग करना संभव है तो पूरे पैनल को रद्द करना उचित नहीं

इस संदर्भ में देश की सर्वोच्च अदालत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, नौकरी रद्द नहीं की जा रही है. अगर पात्र और अपात्र को अलग करना संभव है तो पूरे पैनल को रद्द करना सही नहीं होगा. इसके साथ ही देश की सर्वोच्च अदालत ने यह भी बताया कि इस मामले में राज्य, एसएससी, मुख्य याचिकाकर्ता, बेरोजगार अभ्यर्थी और सीबीआई के बयान सुने जायेंगे और इसके बाद ही कोई निर्णय लिया जायेगा. इन 26 हजार शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों का भविष्य सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अटका हुआ है.

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