ममता बनर्जी ने फिर लिखी पीएम मोदी को चिट्ठी- बंगाल में बाढ़ के लिए डीवीसी जिम्मेदार
West Bengal Flood: झारखंड के पंचेत डैम से पानी छोड़े जाने की वजह से बंगाल में आई बाढ़ से ममता बनर्जी बेहद खफा हैं. पीएम मोदी को फिर से चिट्ठी लिखी है.
West Bengal Flood: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में बाढ़ की स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक और पत्र लिखा है. पत्र में मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) ने उनकी सरकार से परामर्श किये बिना अपने जलाशयों से पानी छोड़ दिया, जिससे राज्य के कई जिले जलमग्न हो गये.
केंद्रीय मंत्री के जवाब से नाराज हैं बंगाल की मुख्यमंत्री
प्रधानमंत्री को लिखे गये ममता बनर्जी के पिछले पत्र का जवाब देते हुए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटील ने कहा था कि राज्य के अधिकारियों को हर चरण में डीवीसी के जलाशयों से पानी छोड़े जाने के बारे में सूचित किया गया था, जो एक बड़ी आपदा को रोकने के लिए आवश्यक था.
जलशक्ति मंत्री की चिट्ठी से जताई असहमति
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा- हालांकि, माननीय मंत्री का दावा है कि डीवीसी के बांधों से पानी दामोदर घाटी जलाशय विनियमन समिति के साथ आम सहमति और सहयोग से छोड़ा गया था, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार के प्रतिनिधियों के साथ परामर्श भी शामिल था, मैं इससे सम्मानपूर्वक असहमति जताती हूं.
कई बार बंगाल को नोटिस दिए बगैर पानी छोड़ देता है डीवीसी
उन्होंने आरोप लगाया कि भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के अधीन आने वाले केंद्रीय जल आयोग के प्रतिनिधि सभी अहम फैसले आम सहमति के बिना एकतरफा रूप से लेते हैं. ममता बनर्जी ने दावा किया कि कभी-कभी राज्य सरकार को बिना किसी नोटिस के पानी छोड़ दिया जाता है और उनकी सरकार की राय का सम्मान नहीं किया जाता.
ममता बनर्जी ने बताया- क्यों आई बंगाल में आपदा
उन्होंने 21 सितंबर को लिखे पत्र में कहा- इसके अलावा नौ घंटे की लंबी अवधि तक जलाशयों से होने वाली अधिकतम निकासी केवल साढ़े तीन घंटे के नोटिस पर की गयी, जिसके कारण आपदा प्रबंधन के प्रभावी उपाय नहीं किये जा सके. यह पत्र रविवार को सार्वजनिक किया गया. ममता ने दावा किया कि 16 सितंबर की रात उन्होंने डीवीसी प्रमुख से पानी छोड़ने की योजना टालने का आग्रह किया था, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया.
देर रात 2.1 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने की बात डीवीसी ने कही
उनकी सरकार 2.5 लाख क्यूसेक की अधिकतम निकासी के लिए तैयार नहीं थी और 17 सितंबर को शाम 4:34 बजे छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा घटाकर 2.3 लाख क्यूसेक और शाम 5 बजे दो लाख क्यूसेक करने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा कि डीवीसी ने पहले शाम 6 बजे छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा घटाकर 2.2 लाख क्यूसेक और बाद में रात 11:20 बजे 2.1 लाख क्यूसेक करने का परामर्श जारी किया.
सूचना देने में देरी की वजह से स्थिति और बिगड़ी
ममता ने कहा कि दुर्भाग्य से हमारे अनुरोध और इन्हें स्वीकार किये जाने के बीच समय का बड़ा अंतर (ढाई से साढ़े 7 घंटे तक) था. देरी के कारण स्थिति और बिगड़ गयी, जिससे हमारे राज्य को काफी नुकसान हुआ. मुख्यमंत्री ने दावा किया कि 2.5 लाख क्यूसेक की अधिकतम निकासी से बचा जा सकता था.
दक्षिण बंगाल पर दुष्प्रभाव को टाला जा सकता था
उन्होंने कहा कि अगर जलाशयों (मैथन और पंचेत) में उनके अधिकतम बाढ़ प्रबंधन स्तर (एमएफएमएल) से ज्यादा पानी इकट्ठा होने दिया गया होता, तो अधिकतम निकासी से बचा जा सकता था, जिससे दक्षिण बंगाल पर दुष्प्रभाव संभवतः कम हो जाता.
डीवीआरआरसी से हम अपने प्रतिनिधि को तुरंत हटा रहे
ममता ने कहा कि इसलिए मुझे लगता है कि केंद्रीय मंत्री का यह बयान पूरी तरह से सही नहीं है कि बाढ़ का खतरा कम करने के लिए सभी प्रयास किये गये थे. पश्चिम बंगाल की चिंताओं की स्पष्ट अनदेखी और बाढ़ नियंत्रण के संबंध में सहयोग की कमी के विरोध में उनकी सरकार डीवीआरआरसी से अपने प्रतिनिधि को तुरंत हटा रही है.
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