West Bengal : अब अनचाही प्रेगनेंसी से 3 साल तक छुटकारा, ‘इम्प्लांट’ रोकेगा गर्भधारण

West Bengal : राज्य स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, फिलहाल पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, ओडिशा और असम जैसे उच्च प्रजनन क्षमता वाले राज्यों में इस उपकरण को उतारा गया है.

By Shinki Singh | December 2, 2024 2:33 PM
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West Bengal ,शिव कुमार राउत : ताबीज नहीं, लेकिन ताबीज की तरह बांह पर रखा जाये तो महिलाएं गर्भवती नहीं होंगी. अगर दंपती को बच्चा चाहिए तो इसे हटाना होगा. इसके बाद वह प्राकृतिक रूप से गर्भधारण कर सकती हैं. यह कोई जादुई ताबीज या जादुई छड़ी नहीं है. न ही कोई अंध विश्वास है. यहां बात कॉन्ट्रासेप्टिव ‘इम्प्लांट’ की हो रही है. यह राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत पश्चिम बंगाल समेत देश के 10 राज्यों में चरणबद्ध तरीके से लॉन्च किया गया है.

गर्भनिरोधक दवाओं के हैं कई साइड इफेक्ट

अनियोजित गर्भधारण को रोकने के लिए बाजार में उपलब्ध गर्भनिरोधक दवाओं को पूरी तरह से सुरक्षित नहीं माना जाता. इस तरह की दवाओं का साइड इफेक्ट भी होता है. इन दवाओं के अतिरिक्त सेवन से महिलाएं बांझपन समेत कई अन्य बीमारियों की शिकार हो सकती हैं. ‘इम्प्लांट’ अब पश्चिम बंगाल में भी उपलब्ध है. पर, फिलहाल कुछ सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ही इसका ट्रायल के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है. इसे तीन साल तक बांह में त्वचा के नीचे रखा जा सकता है. इस उपकरण का नाम ‘इम्प्लांट’ रखा गया है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने राज्य को 9 लाख ‘इम्प्लांट’ दिये हैं.

राज्य के इन मेडिकल कॉलेजों में शुरू हुआ ट्रायल

जानकारी के अनुसार, कोलकाता मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एनआरएस), कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज और मालदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में इस साल 28 सितंबर से ट्रायल शुरू हो चुका है. इन मेडिकल कॉलेजों में दंपतियों की स्वैच्छिक सहमति से इम्प्लांट का ट्रायल किया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, इस ‘इम्प्लांट’ (उपकरण) को दंपती के आधार कार्ड की जांच के बाद ही महिला के बांह पर लगाया जायेगा.

देश में इसकी कीमत हो सकती है 3,100 रुपये तक

देश में कितने फीसदी जोड़े ‘इम्प्लांट’ का इस्तेमाल कर रहे हैं यह जानने के लिए ही आधार कार्ड लिया जा रहा है. राज्य स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, फिलहाल पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, ओडिशा और असम जैसे उच्च प्रजनन क्षमता वाले राज्यों में इस उपकरण को उतारा गया है. यह पहले से ही 110 देशों में उपलब्ध है. अब इसे निजी क्षेत्र में भी पेश किया जा सकता है. देश में इसकी कीमत 3,100 रुपये तक हो सकती है.

क्या है इम्प्लांट उपकरण’ और कैसे करेगा कार्य

‘इम्प्लांट उपकरण’ चार सेंटीमीटर लंबा और दो मिलीमीटर व्यास का है. इसे एक आसान छोटी सर्जरी की मदद से बांह की त्वचा के नीचे डाल दिया जाता है. इसे बांह की त्वचा के नीचे लगातार तीन साल तक रखा जा सकता है. यह 99 फीसदी अनियोजित गर्भधारण को रोकने में मददगार होगा. इम्प्लांट उपकरण महिलाओं के शरीर में ओव्यूलेशन (अंडोत्सर्ग) को रोककर गर्भधारण को रोकता है. अंडोत्सर्ग के दौरान अंडा ओवरी से बाहर निकलकर ट्यूब में आ जाता है. इस दौरान यौन संबंध बनाने पर स्पर्म अंडे को ट्यूब में फर्टिलाइज कर देता है.

महिला की बांह में स्किन के नीचे उपकरण को किया जाता है इम्प्लांट

अंडोत्सर्ग का समय महिला के गर्भधारण के लिए सबसे अच्छा समय होता है. इसे सबसे अधिक फर्टाइल पीरियड माना जाता है. वहीं, यह गर्भाशय के द्वार पर प्रोजेस्टिन (मादा हारमोन) को गाढ़ा कर देता है. जिससे शुक्राणु के लिए अंडे तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है. स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक डच कंपनी के साथ समझौता कर इस उपकरण को उतारा है. ड्रग कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआइ ) ने भी इसके इस्तेमाल को लेकर अनुमति दे दी है. राज्य में महिलाओं को यह उपकरण नि:शुल्क उपलब्ध कराये जा रहे रहे हैं.

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साइड इफेक्ट नहीं, विफलता की संभावना बेहद कम

राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के नोडल ऑफिसर डाॅ असीम दास मालाकार ने बताया कि भारत में कई गर्भनिरोधक तरीके हैं, पर यह सबसे आसान तरीका है. इस तकनीक को पेश करने का मुख्य उद्देश्य है महिलाओं को कम उम्र में मां बनने से रोकना. वहीं पहले व दूसरे बच्चे के बीच उम्र का अंतर कम से कम दो-तीन साल का होना चाहिए. उन्होंने बताया कि इस उपकरण के इम्प्लांट का कोई साइड इफेक्ट नहीं है. इसके विफल रहने की संभावना भी काफी कम है.

15 से 40 वर्ष की उम्र वाली महिलाएं इंप्लांट का कर सकती हैं उपयोग

इम्प्लांट के इस्तेमाल से बच्चे को स्तनपान कराने में कोई दिक्कत नहीं होगी. अधिकारी ने बताया के इस उपकरण को त्वचा के नीचे लगाते ही यह सक्रिय हो जायेगा. इसे इस्तेमाल करने से गर्भाशय से अंडों का निकलना बंद हो जायेगा और गर्भाशय द्वार फिसलन भरा नहीं होगा, जिससे शुक्राणु प्रवेश नहीं कर पायेंगे. वहीं, इम्प्लांट को हटा दिये जाने के बाद शरीर अपनी पिछली स्थिति में वापस आ जायेगा. मशीन के निकालने के एक माह के अंदर महिला गर्भवती हो सकती है. डॉ मालाकार ने बताया कि आम तौर पर 15 से 40 वर्ष की उम्र वाली महिलाएं इंप्लांट का उपयोग कर सकती हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से यह भी बताया गया है कि, उक्त सरकारी अस्पतालों से केवल दंपती को ही मुफ्त इम्प्लांट उपकरण दिया गया. ताकि, गलत मकसद से लोग इस उपकरण का इस्तेमाल न कर सकें.

गर्भनिरोधक के इन तरीकों पर एक नजर

देश में गर्भ निरोधक कई तरह की दवाएं उपलब्ध हैं. कॉपर टी से लेकर ””अंतरा”” इंजेक्शन तक. इसी साल जनवरी में स्वास्थ्य विभाग के आंतरिक सर्वे में शादीशुदा महिलाओं के बीच ””अंतरा”” इंजेक्शन काफी लोकप्रिय पाया गया है. लेकिन समस्या यह है कि यह इंजेक्शन बच्चे के जन्म के 42 दिन या 6 सप्ताह बाद तक नहीं लिया जा सकता है. अंतरा इंजेक्शन एक बार लगाने से तीन माह तक ही गर्भ निरोधक का काम करेगा. पर इम्प्लांट में ऐसी कोई निषेध नहीं है. अब भविष्य ही बतायेगा कि इम्प्लांट कितना प्रभावी व लोकप्रिय होता है.

एक नजर

एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में हर साल होने वाले 48.1 मिलियन गर्भधारण में से लगभग आधे अनपेक्षित होते हैं और इनके कारण हर साल लगभग 25 मिलियन असुरक्षित गर्भपात और 47,000 मातृ मृत्यु होती है. भारत में अनपेक्षित गर्भधारण की उच्च दर के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं. अनियोजित गर्भधारण महिलाओं को कई तरह से प्रभावित कर सकता है, जिसमें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां और दीर्घकालिक वित्तीय कठिनाइयां भी शामिल हैं.

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