West Bengal : देश में पहली बार आयुर्वेद चिकित्सक के नाम पर बहरमपुर में बनेगा म्यूजियम

West Bengal : प्रोफेसर डॉ असित कुमार पांजा ने बताया कि हमारे शोध कार्य के तहत हम पहली बार 2018 में उनकी कृतियां, मार्च 2021 में उनके शिष्य-प्रशिष्य पर कार्य करने के लिए बंगाल के 12 से अधिक स्थानों और 11 पुस्तकालयों का दौरा किया.

By Shinki Singh | November 4, 2024 1:07 PM
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West Bengal, शिव कुमार राउत : देश में पहली बार किसी आयुर्वेद चिकित्सक के नाम पर संग्रहालय सह पुस्तकालय बनने जा रहा है. कविराज गंगाधर राय के आवास स्थल मुर्शिदाबाद जिले के बहरमपुर में इसका निर्माण होगा. इसके लिए केंद्र सरकार ने राज्य को 50 लाख रुपये आबंटित कर दिये हैं. संग्रहालय पर होने वाले खर्च का 60 फीसदी हिस्सा केंद्र और 40 फीसदी राज्य सरकार वहन करेगी.

कविराज पर पिछले पांच वर्षों से चल रहा है शोध

बता दें कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद के आयुर्वेद पांडुलिपि विभाग में कविराज पर पिछले पांच वर्षों से शोध चल रहा है. साथ ही ऑस्ट्रिया की वियना यूनिवर्सिटी में भी उन पर रिसर्च जारी है. शोध से संबंधित खबर ‘प्रभात खबर’ में एक अप्रैल को प्रकाशित हुई थी. इसके बाद ही केंद्र और राज्य सरकार की ओर से उक्त पहल की गयी. ज्ञात रहे कि देश की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद की आधुनिककाल में उत्थान की पटकथा कभी मुर्शिदाबाद जिले में ही लिखी गयी थी और लिखने वाले थे-कविराज गंगाधर राय. उन्होंने मुर्शिदाबाद में रह कर न केवल आयुर्वेद ग्रंथों की रचना की, बल्कि देश में इसके प्रचार-प्रसार पर भी जोर दिया.

आयुर्वेद के क्षेत्र में उनके कार्यों को आज भी किया जाता है याद

आयुर्वेद के क्षेत्र में उनके कार्यों को आज भी याद किया जाता है. वह कविराज होने के साथ-साथ दार्शनिक, समाज सुधारक और शिक्षाविद् भी थे. अपने जीवनकाल में उन्होंने 100 से अधिक ग्रंथों की रचना की, जो आज के दौर में भी प्रासंगिक हैं. उन्होंने चरक संहिता पर विख्यात टीका जल्पकल्पतरु लिखा था. पांच हजार से अधिक पृष्ठ वाले टीका को लिखने में करीब 20 वर्ष लगे थे. आज कविराज के ग्रंथों पर शोध किया जा रहा है.

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बंगाल के 12 से अधिक स्थानों और 11 पुस्तकालयों का किया दौरा

गंगाधर राय पर शोध कर रहे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद के मैनुस्क्रिप्टोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ असित कुमार पांजा ने बताया कि हमारे शोध कार्य के तहत हम पहली बार 2018 में उनकी कृतियां, मार्च 2021 में उनके शिष्य-प्रशिष्य पर कार्य करने के लिए बंगाल के 12 से अधिक स्थानों और 11 पुस्तकालयों का दौरा किया. सितंबर 2022 को बांग्लादेश गये. अंतिम बार हमारी संयुक्त टीम के सदस्य डॉ विश्वजीत घोष एवं डॉ सुदीप्त मुन्सी (शोधकर्ता-वियना यूनिवर्सिटी) 20 मार्च 2024 को उनके जन्मस्थल सैदावाद का दौरा कर समस्त सामग्री संग्रह की. इस साल प्रभात खबर में उक्त खबर प्रकाशित हुई.

संग्रहालय में कविराज गंगाधर संबंधी समस्त सामग्री उपलब्ध

इसी वजह से ऐसे महान कविराज के ग्रंथों और उनकी जीवनी को दर्शाने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों ने संग्रहालय सह पुस्तकालय बनाने का निर्णय लिया, जो सराहनीय है. हम चाहते हैं कि उक्त संग्रहालय सह पुस्तकालय अत्याधुनिक एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर का हो. वहां कविराज गंगाधर संबंधी समस्त सामग्री उपलब्ध रहे. इसके साथ प्रोफेसर डॉ असित कुमार पांजा ने कहा, हम भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के सचिव महोदय के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं, इस महान पहल के लिए और अनुदान राशि को मंजूरी देने के लिए.

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आयुर्वेद का होगा प्रचार-प्रसार

बंगाल सरकार के डायरेक्टर ऑफ आयुर्वेद डॉ देवाशीष घोष ने कहा, म्यूजियम सह लाइब्रेरी के निर्माण के लिए जिला प्रशासन ने टेंडर भी जारी कर दिया है. म्यूजियम को मुर्शिदाबाद टूरिज्म के साथ जोड़ा जायेगा, ताकि लोग इसके विषय में जान सकें. म्यूजियम की वजह से राज्य में आयुर्वेद का भी प्रचार-प्रसार होगा. आयुर्वेदाचार्य एवं संयुक्त टीम के सदस्य डॉ विश्वजीत घोष ने कहा, इस म्यूजियम सह लाइब्रेरी को बनाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार को विशेष आभार. यह भारत में बंगाल-आयुर्वेद परंपरा के विशेष योगदान को प्रतिष्ठित करने का एक उत्तम मार्गदर्शक बनेगा.

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