आपराधिक मामलों में आरोपियों की पैरवी क्यों कर रहे सरकारी रिटेनर अधिवक्ता

कलकत्ता हाइकोर्ट ने राज्य सरकार के लीगल रिमेंब्रांसर से एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 23, 2024 1:20 AM

हाइकोर्ट के न्यायाधीश ने राज्य सरकार से मांगा स्पष्टीकरण

कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने राज्य सरकार के लीगल रिमेंब्रांसर से एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. न्यायाधीश तीर्थंकर घोष ने शुक्रवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान सवाल किया कि क्या सरकारी रिटेनर वकील राज्य सरकार द्वारा शुरू किये गये आपराधिक मामलों में आरोपियों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं? उन्होंने एक मामले का उदाहरण दिया, जिसमें वर्तमान एडवोकेट जनरल ने एक हाई-प्रोफाइल नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में आरोपी का प्रतिनिधित्व किया था. इसने ऐसे कानूनी प्रतिनिधित्व की उपयुक्तता और वैधता पर सवाल खड़े कर दिये हैं. न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष ने कानूनी आचार संहिता और प्रक्रिया अनुशासन का सख्ती से पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने चिंता व्यक्त की कि राज्य द्वारा नियुक्त वकील, जिन पर जांच की पवित्रता बनाये रखने की जिम्मेदारी होती है. उन्होंने सख्त लहजे में कहा : मैं इसकी अनुमति नहीं दूंगा. इसमें अनुशासन होना चाहिए. उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि आपराधिक मामलों में सबूत अक्सर न्यायिक जांच की पवित्रता के लिए महत्वपूर्ण होते हैं.कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि एक बार वकील सरकारी रिटेनर के रूप में नियुक्त हो जाता है, तो उसे निजी मामलों को नहीं लेना चाहिए. यह टिप्पणी उन स्थापित कानूनी सिद्धांतों पर आधारित है, जो सरकारी रिटेनर्स की जिम्मेदारियों को नियंत्रित करते हैं. मामले की गंभीरता को रेखांकित करते हुए न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष ने कहा : अगर ऐसा ही चलता रहा तो पश्चिम बंगाल राज्य को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी. उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की प्रथाओं पर लगाम न लगाने से न्यायिक प्रक्रिया को नुकसान हो सकता है.

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