यौन अपराध के मामलों में महिलाओं को त्वरित न्याय मिलना जरूरी : अभिषेक

दक्षिण 24 परगना के जयनगर में एक बच्ची से दुष्कर्म व हत्या के मामले में 62 दिनों के बाद दोषी को पॉक्सो कोर्ट ने फांसी की सजा सुनायी है

By Prabhat Khabar News Desk | December 6, 2024 10:35 PM

कोलकाता. दक्षिण 24 परगना के जयनगर में एक बच्ची से दुष्कर्म व हत्या के मामले में 62 दिनों के बाद दोषी को पॉक्सो कोर्ट ने फांसी की सजा सुनायी है. मामले को लेकर राज्य पुलिस की सराहना करते हुए सांसद व तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि “एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म और हत्या के दोषी को महज 62 दिनों बाद मौत की सजा सुनायी गयी है. मैं राज्य पुलिस खासकर एसपी पलाश ढाली के नेतृत्व वाली विशेष जांच दल को मामले में 25 दिनों में चार्जशीट दाखिल करने के उनके असाधारण काम के लिए धन्यवाद देता हूं. महिलाओं पर यौन अपराधों के मामलों में त्वरित न्याय मिलना व सख्त कानून होना जरूरी है. महिलाओं की सुरक्षा व दुष्कर्म के दोषियों के खिलाफ त्वरित सुनवाई और सजा सुनिश्चित को लेकर राज्य सरकार ने इसके लिए विधानसभा में ‘अपराजिता महिला व बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक’ पास किया है. अगला बड़ा कदम उक्त विधेयक को लेकर देश में कानून बनाने की जरूरत है. महिलाओं पर होने वाले यौन अपराध के खिलाफ एक सख्त कानून बनाया जाना आवश्यक है.” उक्त मामले को लेकर तृणमूल के प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में एक जूनियर महिला चिकित्सक से दुष्कर्म और हत्या के मामले का जिक्र करते हुए केंद्रीय जांच एजेंसी की तफ्तीश को लेकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि “यदि मामले की जांच का जिम्मा कोलकाता पुलिस के हाथ से नहीं लिया गया होता, तो संभवत: आरजी कर मामले में भी दोषी की सजा सुनिश्चित हो पाती.” उन्होंने आरजी कर मामले में पीड़िता के माता-पिता को लेकर कहा कि “अगर वे दूसरों की बातों से गुमराह नहीं हुए होते, तो अब तक वह संभवत: उनकी बेटी की हत्या के दोषी की मौत की सजा देख पाते..” इधर, आरजी कर मामले में पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया कि “राज्य पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के बड़े प्रमुखों की मौजूदगी में सबूत नष्ट कर दिये गये. इसी वजह से सीबीआई अन्य आरोपियों को सामने नहीं ला पायी. जयनगर मामले में पुलिस साक्ष्य जुटाने में सक्रिय थी और आरजी कर मामले में इसके विपरीत. टाला थाने के तत्कालीन ओसी की गिरफ्तारी व उनपर लगे आरोप इस बात का प्रमाण है कि पुलिस ने साक्ष्य से छेड़छाड़ की.”

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version