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Yoga Day: टेम्स के तट से त्रिवेणी पहुंची जुनैब योग के जरिये लोगों की जिंदगी को बना रही जन्नत

Yoga Day: जुनैब लंदन से तनाव मुक्ति के लिए भारत लौट आईं और ऋषिकेश के एक मठ में जाकर योग करने लगी. योग ने उनकी जिंदगी को नया आयाम दिया.

By Mithilesh Jha | June 21, 2024 5:45 AM
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Yoga Day|कोलकाता, विकास कुमार गुप्ता : लंदन में टेम्स नदी के तट से लेकर त्रिवेणी संगम तक, यह एक ऐसी मुस्लिम महिला की प्रेरक कहानी है, जिसकी जिंदगी योग से पूरी तरह बदल गई और अब वह इसी दिव्य शक्ति से दूसरों की जिंदगियों को बेहतर बनाने में जुटी हुई हैं.

लंदन में 12 साल तक बड़ी-बड़ी कंपनियों में किया काम

लंदन में बड़ी-बड़ी विभिन्न कंपनियों में अच्छे पद पर लगातार 12 वर्षों तक काम करने वालीं महिला जुनैब पर्सियाना खान अपने व्यस्त जीवन की आपाधापी और काम के दबाव से इस कदर परेशान हुईं कि, उन्हें अपनी जिंदगी जहन्नुम महसूस होने लगी. वहां वह धीरे-धीरे वह परेशान होकर मानसिक तनाव से ग्रसित हो गई. इससे छुटकारा पाने के लिए वह कुछ लोगों से अपनी परेशानी शेयर की.

लंदन में लोगों ने दी ऋषिकेश जाकर योग करने की सलाह

इस दौरान उसे लंदन में कुछ लोगों ने भारत के ऋषिकेश में जाकर योग और मेडिटेशन करने की सलाह दी. वह लंदन से तनाव मुक्ति के लिए भारत लौट आईं और ऋषिकेश के एक मठ में जाकर योग करने लगी. योग ने उनकी जिंदगी को नया आयाम दिया. तनाव-मुक्त जीवन जीने का तरीका सिखाया. जुनैब योग से इतनी प्रभावित हुईं कि अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर भारत आ गईं और ऋषिकेश में योग को आत्मसात किया. अब वह तनावग्रस्त लोगों को योग सिखाकर उनकी जिंदगियों को जन्नत बनाना अपना मिशन बना चुकी हैं.

योग अपनाकर इसके चमत्कार को अनुभव कर मेरी सोच बदल गई

जुनैब कहती हैं कि, योग को लेकर पहले मेरी यह धारणा थी कि यह एक फिजिकल एक्सरसाइज है. इसके अलावा इसमें और कुछ नयी बात नहीं है. लेकिन जब मै वर्ष 2016 में पहली बार ऋषिकेश जाकर वहां के मठ में खुद के मेंटल स्ट्रेस से मुक्ति के लिए पहली बार योग का सहारा लिया, तब इससे मिलने वाले चमत्कार से मेरी सोच बदल गई. मुझे यह महसूस हुआ कि योग को अपनाने से यह तनाव मुक्त स्वस्थ समाज को गढ़ने का सबसे प्रेरक मार्ग है.

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मुझे पहले यह पता था कि सिर्फ हिंदू समुदाय के लोग हीं योग किया करते हैं. लेकिन जब मैने खुद को स्ट्रेस मुक्त रखने के लिए योग को अपनाया, फिर मुझे यह एहसास हुआ कि यह सभी धर्म के लोगों का है, इसे किसी एक धर्म से जोड़ना काफी गलत है. इसे सभी धर्म के लोग अपनाकर खुद को स्वस्थ एवं निरोग रख सकते हैं. इसके बाद मैं वापस लंदन लौट गई. यहां काम के साथ खुद को स्वस्थ रखने के लिए लगातार योग करने लगी.

लंदन में काम के बीच में मै हर तीन से छह महीने के अंतराल पर लंदन से ऋषिकेश भी आने लगी. यहां आकर नये-नये योग शिविर ज्वायन कर खुद को तनाव मुक्त रखने लगी. लंदन में रोजाना खुद योग करने के साथ वहां ऑफिस में कंपनी के अन्य साथियों को योग के महत्व को बताना शुरू कर योग को अपनाने के लिए उन्हें जागरूक करने लगी, जिससे वे भी योग के अपनाकर इसके जरिये खुद को स्ट्रेश मुक्त और स्वस्थ रख सके. वर्ष 2020 से लेकर अबतक लगभग 1000 से ज्यादा लोगों को मै योग सिखा चुकी हूं. वे लोग भी योग के चमत्कार हो महसूस कर चुके हैं.

2017 में लंदन की नौकरी छोड़ ऋषिकेश में सीखी योग विद्या

जुनैब कहती है कि, योग को अपनाकर मेरी जिंदगी इस कदर बदल गई कि मैने नौकरी छोड़ने का फैसला लिया. इसके बाद वर्ष 2017 में लंदन में नौकरी छोड़कर वहां से भारत आकर ऋषिकेश में रहने लगी. यहां वर्ष 2017 से 2020 तक विभिन्न आश्रम, गुरुकुल एवं ऋषि मुनियों के बीच रहकर योग के अलावा प्राणायाम, हवन और मेडिटेशन से संबंधित विभिन्न तरह की योग विद्या से जुड़ी शिक्षा ग्रहण की.

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कैसे किन-किन योग से कौन-कौन सी समस्याओं से मुक्ति मिलती है, इसे पूरी तरह से जानने के बाद मुझे लगा कि जिस प्रकार से मैने योग को अपनाकर अपनी जिंदगी को जहन्नुम से जन्नत बनाया, ठीक उसी तरह से मेरी तरह असंख्य लोग हमारे बीच हैं, जो जहन्नुम भरी जिंदगी जी रहे हैं. उन्हें उनकी समस्याओं से मुक्त करने के लिए उन्हें योग के महत्व एवं इसे अपनाकर इससे होने वाले चमक्तार के बारे में लोगों को बताना होगा.

देश-विदेश के छात्रों को ऑनलाइन एवं ऑफलाइन सिखाती हैं योग

जुनैब कहती हैं कि ऋषिकेश में ही रहकर वहां तपोवन में योग कैंप गढ़कर देश विदेश के लोगों को योग करवाकर एक स्वस्थ एवं निरोग समाज को गढ़ने के संकल्प के तहत मै आगे बढ़ने लगी. पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में मेरा घर है. वहीं से मेरा परिवार लंदन में शिफ्ट हो गया. तब से मै वहीं पली-बढ़ी और शिक्षा अर्जन की.

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कहा कि योग के चमत्कार से प्रभावित होकर अब कोलकाता समेत विभिन्न राज्यों के लोगों को ऑनलाइन एवं ऑफलाइन बिना किसी शुल्क लिये योग करवाती हूं. समय-समय पर कोलकाता आकर योग सीख रहे छात्रों से मिलती भी हूं. विश्व के कई देशों से उसके कैंप में लोग आकर योग सीखकर दूसरों को भी योग सीखा रहे हैं. योग के जरिये लोगों को शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ बनाकर स्वस्थ समाज गढ़ने की मुहिम में लगातार आगे बढ़ना ही मेरे जीवन का लक्ष्य है.

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