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आपका ब्लड दिला सकता है गंजेपन से छुटकारा

आजकल बाल झड़ना बड़ी समस्या बन चुकी है. खासकर कम उम्र के लोग भी गंजेपन की समस्या से जूझ रहे हैं. यह परेशानी लड़कों में ही नहीं, लड़कियों में भी तेजी से बढ़ रही है.

कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ‘प्लेटलेट रिच थेरेपी’ से हो रहा है नि:शुल्क इलाज

शिव कुमार राउत, कोलकाता

आजकल बाल झड़ना बड़ी समस्या बन चुकी है. खासकर कम उम्र के लोग भी गंजेपन की समस्या से जूझ रहे हैं. यह परेशानी लड़कों में ही नहीं, लड़कियों में भी तेजी से बढ़ रही है. बाल गिरने और गंजे होने के कारण युवा अपनी पर्सनालिटी को लेकर परेशान होने लगते हैं, जिसका सीधा असर उनके कॉन्फिडेंस पर भी पड़ता है. इसके लिए ज्यादातर लोग हेयर ट्रांसप्लांट की मदद लेते हैं. लेकिन, इन दिनों कोलकाता के एक मेडिकल कॉलेज में नयी थेरेपी से बालों को उगाया जा रहा है. इसका नाम ‘प्लेटलेट रिच थेरेपी’ (पीआरपी) है. ब्लड में मौजूद प्लेटलेट की मदद से बालों को फिर से उगाया जा रहा है. यहां के नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में इस ‘प्लेटलेट रिच थेरेपी’ पर सफल रिसर्च किया गया है. फिलहाल एनआरएस मेडिकल कॉलेज में ही इस थेरेपी से बालों को उगाया जा रहा है. एनआरएस के चर्म रोग विभाग में ‘प्लेटलेट रिच थेरेपी’ से बालों को फिर से उगाया जा रहा है. विभागाध्यक्ष डॉ अरुण आचार के नेतृत्व में ‘प्लेटलेट रिच थेरेपी’ पर शोध हुआ है. अब तक 15 से अधिक लोगों का इस थेरेपी से सफलतापूर्वक बाल उगाया गया है. 100 से अधिक लोग कतार में हैं.

प्रो आचार ने बताया कि हेयर ट्रांसप्लांट के लिए मरीजों को कई साइकिल (सिटिंग्स) से होकर गुजरना पड़ता है. लाखों रुपये का खर्च आता है. प्लेटलेट रिच थेरेपी पर भी लाखों का खर्च आ सकता है. मरीज को कई ‘सिटिंग्स’ की जरूरत होती है. निजी अस्पताल में हर सिटिंग में न्यूनतम आठ हजार रुपये का खर्च आ सकता है. नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज में यह निःशुल्क है. अस्पताल के त्वचा रोग विभाग को हाल ही में इस पद्धति से इलाज के लिए सरकार की ओर से आधुनिक उपकरण दिये गये हैं. उन्हीं के जरिये यह महंगा इलाज मुफ्त में संभव हो सका है.

आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का ही किया जा रहा इलाज:

डॉ अरुण आचार ने कहा: हम मुख्य रूप से आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों की इस थेरेपी से इलाज कर रहे हैं. अभी एनआरएस के त्वचा रोग विभाग में अगर 100 मरीज आते हैं तो उनमें से 10 गंजेपन की समस्या लेकर आते हैं. इनमें लड़कों के साथ-साथ महिलाएं भी हैं. डॉ अरुण आचार के मुताबिक, पुरुषों में बालों का झड़ना या गंजापन अलग-अलग तरह का होता है. सामने की हेयरलाइन का झड़ना या सिर के ऊपर के बालों का झड़ना या सिर के पीछे का भाग गंजापन होता है. बालों के झड़ने के भी कई प्रकार होते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, अगर मरीज स्टेज एक या स्टेज दो में अस्पताल आता है तो यह थेरेपी तेजी से काम करती है. वहीं बाल झड़ने के लिए प्रदूषण काफी जिम्मेवार है. डॉ अरुण आचार ने भी बताया कि आजकल लड़के अपने बालों में तरह-तरह के कॉस्मेटिक्स का इस्तेमाल करते हैं. अक्सर विभिन्न जेल का उपयोग किया जाता है. इन सौंदर्य प्रसाधनों के कारण हवा में मौजूद धूल बालों में फंस जाती है. जिससे रोम छिद्र क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. तेल लगाना भी बालों के लिए नुकसानदेह माना जाता है. डॉ आचार ने कहा: अस्पताल में कई लोग गंजेपन की समस्या लेकर आते हैं, जो नियमित रूप से तेल लगाते थे. वैसे मरीजों को नियमित रूप से तेल का इस्तेमाल न करने का सलाह दी जती है.

30 से 40 मिनट का सेशन:

इस थेरेपी में कई सेशन की जरूरत पड़ती है और हर सेशन 30 से 40 मिनट की होती है. इस थेरेपी के बाद आसानी से सामान्य कामकाज किया जा सकता है. थेरेपी के 24 घंटे बाद बाल धोएं जा सकते हैं. थेरेपी का असर आमतौर पर तीन महीने बाद दिखता है.

क्या है ‘प्लेटलेट रिच थेरेपी’

डॉ अरुण आचार के मुताबिक, इस थेरेपी में सबसे पहले मरीज के शरीर से 20 मिली लीटर खून लिया जाता है. फिर एक विशेष प्रक्रिया के तहत इसमें से प्लेटलेट्स को अलग किया जाता है. इसके बाद सिर में जहां बाल नहीं होते, वहां प्लेटलेट्स चढ़ाया जाता है. तीन बार अधिक चढ़ाना पड़ सकता है. हर महीने एक ‘सिटिंग’ होगी. प्लेटलेट्स चढ़ाने के लिए हर बार सिर में इंजेक्शन लगाया जाता है. डॉक्टर का दावा है कि पहला इंजेक्शन लेने के बाद ही असर दिखाई देने लगता है. उन्होंने बताया कि मरीज को चढ़ाये जाने वाले इन प्लेटलेट्स में ग्रोथ फैक्टर होता है. इसलिए यह सिर पर बाल उगाने में मदद करता है. नये उगे बाल पहले की तरह ही दिखेंगे. इसे कटाया या मुंडवाया भी जा सकता है. इस थेरेपी का कोई साइड इफेक्ट नहीं है. नये उगे बालों में शैम्पू भी लगाया जा सकता है. चिकित्सक ने कहा कि कम से कम तीन ‘सिटिंग्स’ की आवश्यकता होती है और फिर सिर बालों से भर जायेगा. उन्होंने कहा कि एनआरएस में प्लेटलेट रिच थेरेपी के लिए लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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