बांकुड़ा के रानीबांध के जंगल में वनकर्मियों ने नींद की गोली दागकर बाघिन को किया बेहोश
ओडिशा से भटक कर आयी थी बांकुड़ा, फिलहाल अलीपुर चिड़ियाघर के अस्पताल में है बाघिन
संवाददाता, बांकुड़ा/कोलकाताआखिरकार रविवार अपराह्न करीब चार बजे बांकुड़ा के रानीबांध के गोसाईडीही गांव के जंगल में ओडिशा से भटक कर आयी बाघिन ‘जीनत’ को पकड़ लिया गया. वनकर्मियों की नजर जब जीनत पर पड़ी तो उसे सुलाने के लिए नींद की गोली चलायी गयी. उसके बेहोश होते ही वनकर्मियों ने उसे पिंजरे में बंद कर दिया. जीनत को अब कोलकाता लाया गया है. उसे कुछ दिनों तक अलीपुर चिड़ियाघर के अस्पताल में निगरानी के लिए रखा जायेगा. उसके बाद उसे कहां ले जाया जायेगा, इस पर फैसला होगा. बाघिन 135 किलो की है. वन दफ्तर का एक वाहन उसे लेकर कोलकाता पहुंचा. फिलहाल वह स्वस्थ बतायी जा रही है. उसके स्वास्थ्य पर नजर रखी जा रही है. शनिवार की सुबह जीनत पुरुलिया के पहाड़ी जंगल से होकर बांकुड़ा के रानीबांध के गोसाईडीही गांव के पास के जंगल में घुस गयी थी. जिसके बाद से वनकर्मी लगातार बाघिन जीनत को जाल में लाने की कोशिश कर रहे थे. इलाके में नायलॉन का जाल लगाया गया था. आग तक लगायी गयी थी. साथ ही अधिकारियों ने इलाके में बैरिकेडिंग कर दी थी. शनिवार से ही रेडियो कॉलर और ड्रोन की मदद से बाघिन के लोकेशन पर कड़ी निगरानी रखी गयी. बाघिन को पकड़ने के लिए इलाके को नायलॉन जाल से घेरा गया था. लेकिन फिर भी उस पर काबू नहीं पाया जा सका था. उसे पकड़ना मुश्किल हो रहा था. मामले ने वन विभाग की चिंता बढ़ा दी. शनिवार दोपहर को जब वनकर्मियों की नजर जीनत पर पड़ी थी तो उसे वश में करने के लिए नींद की गोली दागी गयी थी. गोली बाघिन को लगी कि नहीं इसे लेकर वन विभाग में संशय था. रविवार की सुबह बाघिन की आवाज और पैरों के निशान देखकर सभी संशय में पड़ गये. इलाके को जाल से घेर दिया गया. इससे पहले शनिवार को दो बार नींद की गोली दागी गयी थी. फिर भी जीनत काबू में नहीं आयी थी. रविवार को भी सुबह गोली दागी गयी लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई कि उसे गोली लगी कि नहीं. दोपहर को फिर चौथी बार गोली दागी गयी और आखिरकार बाघिन जीनत काबू में आ गयी. वनकर्मियों के जाल में वह फंस गयी.
बाघिन जीनत को पिंजरे में डालते ही वनकर्मियों और अधिकारियों ने राहत की सांस ली. बांकुड़ा के डीएम सियाद एन, बांकुड़ा के एसपी वैभव तिवारी के साथ ही जिला प्रशासन एवं वन विभाग के अधिकारी मौके पर मौजूद रहे. जीनत को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. उल्लेखनीय है कि शुक्रवार की रात में जीनत जब पुरुलिया के मानबजार ब्लॉक दो के अंतर्गत डानगलदी जंगल में थी तब उसे पकड़ने के लिए नायलॉन का जाल बिछाया गया था. जहां से जीनत जाल तोड़कर वन अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकते हुए भागने में कामयाब हुई थी. इसके बाद वह बांकुड़ा सीमा इलाके में घुस गयी थी. चीफ कंजरवेटिव ऑफिसर एस कुणाल डाइभल ने बताया कि बाघिन पकड़ी गयी है. आठ दिनों में पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम के बेलपहाडी ,पुरुलिया के मानबजार और बांकुड़ा के रानीबांध के गोसाईडीही जंगल तक पहुंची बाघिन को सभी नियमों का पालन करते हुए पकड़ने की योजना थी जो सफल रही. बाघिन अच्छी हालत में है. पशु चिकित्सक से जांच करायी गयी है. वह स्वस्थ है. उसे सेफ कस्टडी में ले लिया गया है. बाघिन को ओडिशा के सिमलीपाल अभ्यारणय में ले जाया जायेगा.जीनत को पिछले महीने महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी बाघ अभ्यारण्य (टीएटीआर) से ओडिशा के सिमलीपाल में बाघों की आबादी में नये जीन के बाघ विकसित करने के लक्ष्य के साथ लाया गया था. जीनत सिमलीपाल से गयी थी. बाघिन ने पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा के जंगलों में घूमते हुए 120 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की है.
सीएम ने वन विभाग के अधिकारियों को दी बधाई
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बाघिन को सफलतापूर्वक पकड़ने के लिए राज्य वन विभाग के अधिकारियों को बधाई दी और इसे एक ‘उल्लेखनीय प्रयास’ बताया. सुश्री बनर्जी ने सोशल मीडिया मंच ””एक्स”” पर लिखा: जीनत नाम की बाघिन को सफलतापूर्वक बचाने के लिए पश्चिम बंगाल के वन अधिकारियों को मेरी हार्दिक बधाई. इस उल्लेखनीय प्रयास में अमूल्य समर्थन और सहयोग के लिए जिला प्रशासन, पुलिस, पंचायत पदाधिकारियों और स्थानीय लोगों के प्रति मेरी हार्दिक कृतज्ञता. यह बचाव वन्यजीव संरक्षण के प्रति टीमवर्क और समर्पण का एक शानदार उदाहरण है. आपके संयुक्त प्रयासों ने न केवल एक शानदार प्राणी को बचाया है जो अपने निवास स्थान से बाहर भटक गयी थी, बल्कि हमारी प्राकृतिक विरासत की रक्षा के महत्व पर भी बल दिया. आपके उत्कृष्ट कार्य के लिए धन्यवाद!डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है