आसनसोल में आरएसएस कार्यालय में जांच को पहुंचे अधिकारी, तालाब पाटकर निर्माण का आरोप
आसनसोल नॉर्थ थाना क्षेत्र के साउथ धधका जेसी बोस लेन इलाके में स्थित सुदर्शन भवन (आरएसएस कार्यालय) को लेकर कानून मंत्री मलय घटक की शिकायत को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा संज्ञान में लेते ही अधिकारी रेस हो गये. आरोप है कि इस भवन का निर्माण तालाब को पाटकर किया गया है. इसकी जांच को लेकर गुरुवार को आसनसोल नगर निगम और आसनसोल एसडीएंडएलआरओ कार्यालय की टीम पहुंची थी.
आसनसोल.
आसनसोल नॉर्थ थाना क्षेत्र के साउथ धधका जेसी बोस लेन इलाके में स्थित सुदर्शन भवन (आरएसएस कार्यालय) को लेकर कानून मंत्री मलय घटक की शिकायत को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा संज्ञान में लेते ही अधिकारी रेस हो गये. आरोप है कि इस भवन का निर्माण तालाब को पाटकर किया गया है. इसकी जांच को लेकर गुरुवार को आसनसोल नगर निगम और आसनसोल एसडीएंडएलआरओ कार्यालय की टीम पहुंची थी. आरएसएस के अधिवक्ता पीयूषकांति दास ने बताया कि जांच के लिए पहुंचे अधिकारियों ने सुदर्शन भवन की जमीन की डीड, एलआर पर्चा, भवन निर्माण का सैंक्शन प्लान, टैक्स आदि के कागजात दिखाने के लिए कहा है. अधिकारियों को बताया गया कि इस भवन से संबंधित सारे कागजात दूसरे कार्यालय में है. इसके लिए 15 दिनों का समय चाहिए. इसके लिए आधिकारिक रूप से नोटिस करें, जिसका पूरा जवाब वे लोग देंगे. अधिकारियों ने कहा कि वे जल्द ही नोटिस देंगे. श्री गोस्वामी ने दावा किया कि यह भवन तालाब पाटकर नहीं बना है. 25 वर्ष पहले यह बना है. जो यहां के पुराने लोग हैं, सब यह जानते हैं कि यहां कोई तालाब नहीं था. यह एक घनी आबादी वाला इलाका है. तालाब होता तो सिर्फ एक भवन ही नहीं अनेकों निर्माण उसके दायरे में आते. यह राजनीतिक रूप से प्रेरित है. आरएसएस के एक जिला कार्यवाहक ने बताया कि यह भवन विवेकानंद सेवा ट्रस्ट के नाम पर है. आरएसएस ने पूरा तीन मंजिला भवन किराये पर लिया है. सारे कागजात हैं, जांच में पूरी स्थिति साफ हो जायेगी.मलय घटक की शिकायत पर भी नहीं हुई कार्रवाई, मुख्यमंत्री ने लिया संज्ञान
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अतिक्रमण को लेकर अपने नेताओं व पार्षदों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि जिसके इलाके में इस तरह सरकारी जमीन के अतिक्रमण का मामला आयेगा, उसे गिरफ्तार किया जायेगा. पहले सरकारी जमीन पर बैठना, फिर बुलडोजर लगाकर उसे तोड़ना, वह इसके सख्त खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि मंत्री मलय घटक ने एक शिकायत की है कि आसनसोल में तालाब भरकर एक राजनीतिक संगठन ने तीन मंजिला इमारत बना ली है. यह भवन आरएसएस का है. बार-बार लगातार आसनसोल में पुलिस से शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. उनलोगों ने इसलिए नहीं किया क्योंकि यह भवन आरएसएस का है. यदि तृणमूल का घर तोड़ा जा सकता है तो आरएसएस का घर क्यों नहीं ? पत्रकार सम्मेलन में मुख्य्मंत्री के इस बयान के बाद आसनसोल नगर निगम और एसडीएंडएलआरओ कार्यालय के अधिकारी तुरंत रेस हो गये और साउथ धधका में स्थित आरएसएस कार्यालय में पहुंचकर वहां कागजात की मांग करने लगे. आरएसएस के अधिवक्ता ने अधिकारियों को लीगल नोटिस जारी करने को कहा. जिसके आधार पर सारे जवाब और कागजात दिये जायेंगे.
घनी आबादी वाले क्षेत्र में बना है सुदर्शन भवन, भूमि विभाग भी जुटा जांच में
साउथ धधका इलाके में जहां सुदर्शन भवन बना है, वह घनी आबादी वाला क्षेत्र है. एक घर की दीवार दूसरे घर की दीवार से मानो सटी हुई है. आरएसएस के जिला कार्यवाहक ने कहा कि राज्य के कानून मंत्री श्री घटक के लगातार शिकायत पर भी पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है, यह अपने आप में ही एक आश्चर्यजनक बात है. सुदर्शन भवन जहां बना है, वह एक घनी आबादी वाला क्षेत्र है. तालाब क्या सिर्फ सुदर्शन भवन की ही जमीन पर था या आस-पास के कुछ निर्माण भी तालाब के जमीन पर बने हैं? इस बात का जिक्र नहीं है. भूमि विभाग के पास तो पूरे जमीन का रिकॉर्ड है. वहां से ही तो साफ हो जायेगा कि सुदर्शन भवन की जमीन की कैटेगरी क्या है? 25 वर्षों बाद यह मामला क्यों उठा है? यह सभी को पता है. आसनसोल में कितने तालाबों की भराई करके निर्माण कार्य हुआ है. जिसमें किसकी भूमिका अहम है, यह भी पूरे जिले के लोग जानते हैं. जांच निष्पक्ष रूप से होनी चाहिए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है