नये आपराधिक कानूनों के खिलाफ राज्यभर में वकीलों का प्रदर्शन

कलकत्ता हाइकोर्ट सहित राज्य की जिला अदालतों के वकीलों ने तीन नये आपराधिक कानूनों के खिलाफ राज्य बार काउंसिल के आह्वान पर सोमवार को कामकाज ठप रखा.

By Prabhat Khabar Print | July 2, 2024 2:26 AM

संवाददाता, कोलकाता

कलकत्ता हाइकोर्ट सहित राज्य की जिला अदालतों के वकीलों ने तीन नये आपराधिक कानूनों के खिलाफ राज्य बार काउंसिल के आह्वान पर सोमवार को कामकाज ठप रखा. नये कानूनों को जनविरोधी, अलोकतांत्रिक और क्रूर करार देते हुए बार काउंसिल ने पश्चिम बंगाल और अंडमान निकोबार द्वीप समूह के वकीलों से एक जुलाई को काला दिवस मनाने का आग्रह किया था.

न्यायिक कार्य से दूर रहने वाले वकीलों ने भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 के विरोध में हाथ पर काले बिल्ले पहने. ये तीनों कानून सोमवार से पूरे देश में प्रभावी हो गये हैं. इन तीनों कानून ने ब्रिटिश कालीन कानूनों क्रमश: भारतीय दंड संहिता (आइपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है. बार काउंसिल ने पिछले सप्ताह एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें पश्चिम बंगाल और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की अदालतों में प्रशिक्षण लेने वाले वकीलों को नये कानूनों के विरोध में सोमवार को न्यायिक कार्यों से दूरी बनाकर रखने के लिए कहा गया था. एक व्यक्ति ने बार काउंसिल के इस प्रस्ताव के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि किसी को भी हड़ताल करने या काम बंद करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.

यह देखते हुए कि वकील वादी और प्रतिवादी के लिए काम करते हैं, उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि इस प्रस्ताव को वकीलों पर न्यायिक कामकाज से दूरी बनाये रखने का आदेश नहीं माना जायेगा. पश्चिम बंगाल बार काउंसिल के अध्यक्ष अशोक कुमार देब ने कहा कि इस संबंध में आगे की कार्रवाई तय करने के लिए एक आपातकालीन बैठक की जायेगी.

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