लॉकडाउन इंपैक्ट : पंडित तरुण भट्टाचार्य ने ऑनलाइन लॉन्च किया एलबम जनसम्मोहिनी
कोलकाता : कोरोना महामारी पर काबू पाने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन ने लोगों की जिंदगी और कामकाज का तरीका बदलना शुरू कर दिया है. आम जिंदगी में सोशल डिस्टेंसिंग और ऑनलाइन कामकाज की दखल बढ़ी है. म्यूजिक इंडस्ट्री में भी बदलाव आया है. लॉकडाउन में कलाकार अपनी क्रिएटिविटी को बनाये रखते हुए तरह-तरह के प्रयोग कर रहे हैं. कोरोना वायरस महामारी व लॉकडाउन के मद्देनजर कलाकार न केवल ऑनलाइन म्यूजिक कंपोज कर रहे हैं, बल्कि एलबम भी तैयार कर रहे हैं और उन्हें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लॉन्च भी कर रहे हैं. प्रसिद्ध संतूर वादक व संगीत अकादमी पुरस्कार विजेता पंडित तरुण भट्टाचार्य ने अमेरिका के प्रसिद्ध मृदंग वादक रमेश श्रीनिवासन के शिष्य व बाल कलाकार कार्तिक अय्यर के साथ अपना नवीनतम ऑडियो एलबम जनसम्मोहिनी लॉन्च किया. पढ़िए अजय कुमार की रिपोर्ट.
कोलकाता : कोरोना महामारी पर काबू पाने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन ने लोगों की जिंदगी और कामकाज का तरीका बदलना शुरू कर दिया है. आम जिंदगी में सोशल डिस्टेंसिंग और ऑनलाइन कामकाज की दखल बढ़ी है. म्यूजिक इंडस्ट्री में भी बदलाव आया है. लॉकडाउन में कलाकार अपनी क्रिएटिविटी को बनाये रखते हुए तरह-तरह के प्रयोग कर रहे हैं. कोरोना वायरस महामारी व लॉकडाउन के मद्देनजर कलाकार न केवल ऑनलाइन म्यूजिक कंपोज कर रहे हैं, बल्कि एलबम भी तैयार कर रहे हैं और उन्हें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लॉन्च भी कर रहे हैं. प्रसिद्ध संतूर वादक व संगीत अकादमी पुरस्कार विजेता पंडित तरुण भट्टाचार्य ने अमेरिका के प्रसिद्ध मृदंग वादक रमेश श्रीनिवासन के शिष्य व बाल कलाकार कार्तिक अय्यर के साथ अपना नवीनतम ऑडियो एलबम जनसम्मोहिनी लॉन्च किया. पढ़िए अजय कुमार की रिपोर्ट.
भारत रत्न पंडित रविशंकर सुनकर हुए थे प्रभावित
जनसम्मोहिनी एलबम में संतूर व मृदंग का सुंदर संगत किया गया है. यह शिव कल्याण राग पर आधारित है. राग संगीत द्वारा निकाला गया यह एल्बम डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर उपलब्ध है. पंडित भट्टाचार्य ने एलबम के बारे में बताया कि इस एलबम में शिव कल्याण राग पर आधारित संगीत तैयार किया गया है, हालांकि हाल के दिनों में यह राग प्रचलन से बाहर हो गया, लेकिन मेरे गुरु भारत रत्न पंडित रविशंकर ने जब इस राग को सुना था, तो काफी प्रभावित हुए थे और इसे कर्नाटक नाम के साथ वापस लाया था. एक नोट को छोड़कर सभी नोट शुद्धा ‘राग’ में हैं. यह राग अलगाव, उदासीनता और भगवान में विश्वास को दर्शाता है.
पंडित रविशंकर की शतवार्षिकी पर श्रद्धांजलि
पंडित रविशंकर की शतवार्षिकी पर उन्हें इस एलबम के माध्यम से श्रद्धांजलि दी गयी है. उन्होंने कहा कि हालांकि एलबम की रिकार्डिंग पहले ही हो गयी थी, लेकिन कोरोना वायरस व लॉकडाउन के कारण एडिटिंग नहीं हो पा रही थी और लॉन्च नहीं कर पा रहे थे, लेकिन अंतत: उन लोगों ने ऑनलाइन ही सभी प्रक्रिया पूरा की और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एलबम लॉन्च किया. उन्होंने कहा कि इसके पहले लंदन में वह ऑनलाइन म्यूजिक तैयार कर चुके हैं. इसमें सभी कलाकार अलग-अलग वाद्य यंत्रों की निर्धारित स्पीड और पिच पर रिकार्डिंग करते हैं और बाद में उन्हें एक जगह स्टूडियो में मिक्सिंग किया जाता है और उसे एलबम का रूप दिया जाता है.