रानीगंज. गत नौ जून को रानीगंज के प्रतिष्ठित ज्वेलरी शोरूम में दिनदहाड़े डकैती करके भागते बदमाशों से जामुड़िया थाने के अधीन श्रीपुर फांड़ी के प्रभारी मेघनाद मंडल ने लोहा लिया था. अब उन पर विभागीय कार्रवाई को लेकर चर्चा जोरों पर है. घटनावाले दिन वह किसी काम से एनएसबी रोड में शोरूम के पास गये थे ,जब उनको भनक लगी कि ज्वेलरी शोरूम में डकैती हुई है, तो उन्होंने बहादुरी से डकैतों का मुकाबला किया. डकैती करके भागते बदमाशों पर मेघनाद मंडल अपनी सर्विस रिवॉल्वर से गोली चलाने लगे और ऐसे अकेले ही सात बदमाशों से लोहा लिया. उनकी गोलीबारी से एक डकैत सोनू सिंह घायल हो गया, जिसे लेकर उसके अन्य साथी भाग गये. जाते हुए डकैत सोने के गहनों से भरे दो बैग भी ले गये. अब मेघनाद मंडल की ओर से रानीगंज के एनएसबी रोड इलाके में चलायी गयी गोली को लेकर आसनसोल के एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट विकास कुमार दत्ता ने पश्चिम बंगाल पुलिस एक्ट 1943 की धारा 156 सी के तहत जन-सुनवाई तय की है. 23 जुलाई को दोपहर 12:00 बजे रानीगंज के बीडीओ दफ्तर के सभाकक्ष में जन-सुनवाई होगी. उसमें मेघनाद की चलायी गयी गोली के औचित्य पर विचार होगा. इस जन-सुनवाई में पुलिस अधिकारी नौ जून की डकैती के प्रत्यक्षदर्शी और आम जनता उपस्थित रहेंगे. सभी से यह राय ली जायेगी कि मेघनाद मंडल ने डकैतों पर जो गोली चलायी थी, वो न्यायसंगत थी या नहीं. इस सभा के परिणाम पर निर्भर होगा कि मेघनाद मंडल पर कार्रवाई होगी या नहीं. हालांकि प्रशासन की जन-सुनवाई की तैयारी से आम लोग हैरान हैं. लोगो में जन सुनवाई को लेकर काफी उत्सुकता है,एवं 23 जुलाई को इस जन सुनवाई में काफी भीड़ होने की संभावना है. इनका कहना है कि मेघनाथ मंडल द्वारा जिस बहादुरी से अकेले अपनी जान की परवाह किए बगैर डकैतों का मुकाबला किया गया वह सराहनीय है,वह फिल्मी जगत के सिंघम नहीं बल्कि रियल में सिंघम है.पुलिस के प्रति जनता की आस्था एवं विश्वास बढा है. इनका कहना है कि मेघनाथ मंडल अपने व्यक्तिगत काम से वहां पर आए थे अगर वह चाहते तो इस पूरी घटना से खुद को अलग भी रख सकते थे ,लेकिन उन्होंने यह साबित कर दिया कि एक कर्तव्यनिष्ठ पुलिस ऑफिसर हमेशा ड्यूटी पर रहता है और जब बात लोगों की सुरक्षा की आती है तो वह अपनी जान पर भी खेल कर अपनी ड्यूटी को अंजाम देने से पीछे नहीं हटता. यहां आपको यह बताते चलें कि कुछ समय पहले तेलंगाना में तेलंगाना की पुलिस द्वारा बलात्कार के आरोपी कुछ व्यक्तियों को एनकाउंटर किया गया था ,पुलिस द्वारा यह दलील दी गई थी की आरोपी पुलिस दल पर हमला करके भागने की कोशिश कर रहे थे जब उनको मजबूरी में जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी, जिसमें आरोपियों की मौत हो गई. पुलिस द्वारा इस घटना को अंजाम दिए जाने के बाद तेलंगाना की जनता का उन पुलिस अधिकारियों को पूरा समर्थन मिला था जनता का कहना था कि पुलिस अधिकारियों ने जो किया सही किया .हालांकि यहां पर यह भी बताना उचित रहेगा कि प्रशासन जनता के जज्बातों पर काम नहीं कर सकता. उनको कानून व्यवस्था की हद में रहकर काम करना पड़ता है और इसी के तहत 23 जुलाई की जनसुनवाई तय की गई है. अब यह देखना दिलचस्प रहेगा की उस जनसुनवाई में मेघनाथ मंडल द्वारा गोली चलाई जाने की घटना पर क्या राय बनती है.
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