बीरभूम, मुकेश तिवारी : पश्चिम बंगाल के बीरभूम लोकसभा सीट (Birbhum Lok Sabha seat) पर इस बार तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर हो सकती है. इस सीट पर वर्तमान सांसद तृणमूल कांग्रेस की शताब्दी राय है. भाजपा ने पूर्व आईपीएस देवाशीष धर को उतारा है जबकि कांग्रेस ने मिल्टन रशीद को चुनावी मैदान में खड़ा किया है. इस बीच लोकसभा चुनाव की घोषणा चुनाव आयोग द्वारा कर दी गई है.इसके साथ ही केंद्रीय वाहिनी को जिले में उतार दिया गया है. केंद्रीय वाहिनी चुनावी क्षेत्र में रूट मार्च के साथ अपराधियों की धर पकड़ शुरू कर दी है. वही निर्भय होकर मतदाताओं को इस बार लोकसभा चुनाव में भाग लेने का आह्वान कर रही है.
विधानसभा चुनाव में कई लोगों को मतदान करने का नहीं मिला था मौका
केंद्रीय वाहिनी के आने से स्थानीय मतदाताओं में साहस दिख रहा है. स्थानीय मतदाताओं का आरोप है की गत पंचायत और विधानसभा चुनाव में उन्हें शासक दल के लोगों ने मतदान नहीं करने दिया. जबरन उनके वोट को शासक दल के लोगों ने ही अपने पक्ष में डाल दिया था. लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में वे केंद्रीय वाहिनी की निगरानी में अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे.
शताब्दी ने भाजपा प्रार्थी को 88924 वोट के अंतर से हराकर दर्ज की थी जीत
बीरभूम लोकसभा सीट पर एक नजर डाली जाए तो इस सीट पर वर्ष 2019 के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की प्रत्याशी तथा वर्तमान सांसद शताब्दी राय (बनर्जी) ने कुल 654077 वोट पाई थी. जबकि भाजपा के प्रत्याशी दूध कुमार मंडल को 565153 वोट मिला था. शताब्दी ने भाजपा प्रार्थी को 88924 वोट के अंतर से हराकर जीत दर्ज की थी. वही सीपीएम के प्रार्थी मोहम्मद रिजाउल करीम को महज 96763 वोट ही मिला था.
बीरभूम लोकसभा सीट पर सीपीएम के प्रार्थी ने दस बार जीत दर्ज की
इस वर्ष इस सीट पर कुल नौ प्रत्याशी खड़े थे. यदि अन्य दलों के प्रार्थियोँ और नोटा के बीच यहां का वोट नही बंटता तो भाजपा का ऐसा मानना था की इस सीट से भाजपा की जीत निश्चित थी. वही वर्ष 2014 में भी तृणमूल कांग्रेस की प्रार्थी शताब्दी राय को 460568 वोट मिला तथा जबकि दूसरे स्थान पर सीपीएम के प्रार्थी डॉक्टर इलाही कामरे मोहम्मद को 393305 वोट मिला था. इस वर्ष भी शताब्दी राय ने कुल 67263 वोट के अंतर से जीत दर्ज की थी. वही वर्ष 2009 में भी तृणमूल कांग्रेस से खड़ी शताब्दी राय ने 61159 वोट के अंतर से सीपीएम के प्रार्थी बराज मुखर्जी को हराया था. शताब्दी को 486553 वोट मिला था जबकि बराज को 425034 वोट मिला था. इसके पूर्व इस सीट पर सीपीएम के प्रार्थी 1977 से 2009 तक लगातार दस बार जीत दर्ज कर लोकसभा के सांसद बने है.
अनुब्रत मंडल से नहीं बनती थी शताब्दी की
इसमें सबसे ज्यादा सीपीएम के सांसद डॉक्टर राम चंद्र डोम छह बार चुनाव लड़कर लगातार डबल हैट्रिक बनाया है.जबकि 1952 से लेकर 1971 तक कांग्रेस के प्रार्थी जीत दर्ज कर सांसद बने है. इस सीट से वर्तमान तृणमूल कांग्रेस की सांसद शताब्दी राय को लेकर पार्टी के भीतर एक अंतर द्वंद हमेशा से बना रहा है. जब तृणमूल कांग्रेस के जिला पार्टी अध्यक्ष अनुब्रत मंडल मौजूद थे तब अनुब्रत मंडल से शताब्दी की नही बनती थी. अनुब्रत और शताब्दी के बीच शीतयुद्घ हमेशा बना रहता था. लेकिन अनुब्रत मंडल के गौ तस्करी मामले में तिहाड़ जेल जाने के बाद शताब्दी राय का वजन अपने संसदीय क्षेत्र में काफी बढ़ा है. लेकिन इन सब के बीच हमेशा ही शताब्दी राय को विकास के मुद्दे पर स्थानीय लोगों ने घेरा है.
भाजपा अपना कमल इस सीट पर खिलाने में जुटी
कई बार मांगों के पूरा नहीं होने पर स्थानीय लोगों के कोप का भाजन भी शताब्दी राय को बनना पड़ा है. वही विरोधी भी किसी न किसी इश्यू पर घेरते रहे है. बावजूद शताब्दी राय लगातार इस सीट पर जीत कर हैट्रिक कर चुकी है. क्या इस बार भाजपा अपना कमल इस सीट पर खिलाने में सफल हो पाएगी की नहीं यह तो समय ही बताएगा की ऊंट किस करवट बैठेगा? लेकिन यह भी तय है की इस बार इस सीट पर भाजपा अपने प्रार्थी को जिताने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देंगी. क्योंकि बीरभूम की दोनों लोकसभा सीट पर जीत को लेकर स्वय गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा की नजर है. क्योंकि भाजपा ने इस बार जो स्लोगन दिया है की अबकी बार चार सौ पार.